बेंगलुरु/कर्नाटक: 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष की दो दिवसीय बैठक बेंगलुरु में सोमवार को शुरू हो रही है . बैठक को लेकर विपक्ष में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. हो भी क्यों ना क्योंकि विपक्ष के इस महाकुंभ में 24 दलों का समागम होने जा रहा है. बैठक का एजेंडा तय है. बैठक की प्राथमिकता बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए को हराना है.
हाल ही में कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनी है. बीजेपी को हराने के बाद कांग्रेस में उत्साह चरम पर है. ऐसे में विपक्ष का महाधिवेशन आज से कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में हो रहा है. बेंगलुरु को दुल्हन की तरह सजाया गया है. हर चौके-चौराहे विपक्षी नेताओं के पोस्टर और बैनर से पटे पड़े हैं.
दोपहर में विपक्ष की बैठक शुरू होगी. बेंगलुरु के ताज वेस्ट एंड हटस में दो दर्जन से ज्यादा दलों का महाजुटान है. कांग्रेस की सरकार कर्नाटक में है, लिहाजा मेजबानी का दारोमदार कांग्रेस पर है. कांग्रेस विपक्षी एकता में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती है. इसलिए कांग्रेस ने एक कदम आगे बढ़कर आम आदमी पार्टी को एक तोहफा दिया और केंद्र सरकार के ट्रांसफर-पोस्टिंग वाले अध्यादेश का विरोध करने का ऐलान कर दिया, ताकि कांग्रेस पर ‘आप’ को एलायंस से अलग रखने का तोहमत ना लगे।
आप को मिला कांग्रेस का साथ
बेंगलुरु में विपक्ष की बैठक से पहले बिहार की राजधानी पटना में पिछले महीने यानी 23 जून को पहली बैठक हुई थी, जिसमें विपक्ष की पंद्रह पार्टियों ने शिरकत
की. इस मीटिंग में आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के सीएम केजरीवाल अपने नेताओं के साथ शामिल हुए. भले पटना में विपक्ष की एकता की बात चल रही थी, लेकिन केजरीवाल यहां भी विपक्षी एकता से ज्यादा अपने एजेंडे पर काम करते दिखे.
केजरीवाल पटना में प्रेस-कॉन्फ्रेंस में शामिल नहीं हुए और दिल्ली पहुंच गए. उन्होंने बाद में मीडिया से बात करते हुए साफ कहा कि अगर केंद्र के अध्यादेश पर विपक्ष से समर्थन नहीं मिला तो वो अगली बैठक में शामिल नहीं होंगे. केजरीवाल के आंख-दिखाने पर बेंगलुरु बैठक में आप के शामिल होने पर संशय थ. बतौर मेजबान कांग्रेस पर दबाव था. लिहाजा कांग्रेस ने आनन-फानन में बैठक की और दिल्ली-पंजाब कांग्रेस की राय को दरकिनार करते हुए अध्यादेश को समर्थन देने का ऐलान कर दिया.
मीटिंग की पूर्व संध्या पर कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि ‘केंद्र सरकार संघीय ढांचा को ध्वस्त कर रही है और चुनी हुई सरकारों को राज्यपाल के जरिए परेशान कर रही है. इसलिए कांग्रेस केंद्र के ट्रांसफर पोस्टिंग वाले अध्यादेश का संसद में विरोध करेगी. कांग्रेस के समर्थन के फौरन बाद आम आदमी पार्टी ने बेंगलुरु की बैठक में शामिल होने का ऐलान कर दिया।
विपक्षी महाजुटान का शेड्यूल
बैठक में 24 के लिए दिशा और दशा पर चर्चा होनी है. ऐसे में सियासी दलों के दिग्गजों का बेंगलुरु पहुंचना शुरू हो गया है. इस बैठक में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भी शामिल हो रही है, वहीं नीतीश कुमार, मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, हेमंत सोरेन, लालू यादव, तेजस्वी यादव, अरविंद केजरीवाल, सुप्रिया सुले, उद्धव ठाकरे, एम के स्टालिन, सीताराम येचुरी, अखिलेश यादव, फारुख अब्दुल्ला भी शामिल हो रहे हैं . शाम 6 बजे सभी दलों की औपचारिक बैठक होगी. इसके बाद रात 8 बजे डिनर का आयोजन होगा. अगले दिन सुबह 11 बजे फिर बैठक होगी जिसमें आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर रणनीति बनेगी. दोपहर बाद चार बजे विपक्ष का साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस होगा।
शरद पवार नहीं होंगे शामिल
बैठक में शरद पवार शामिल नहीं होंगे. शरद पवार पटना में हुई बैठक में शामिल हुए थे इस बार सुप्रिया सुले बैठक में शामिल हो रही है. एनसीपी में टूट के बाद
बताया ये जा रहा था कि शरद पवार बैठक में शामिल होंगे लेकिन अचानक उनके नहीं पहुंचने से विपक्षी दलों में थोड़ी मायूसी है . वहीं टीएमसी सुप्रीमो ममता बैनर्जी भी बैठक में शामिल हो रही है. पहले ममता बनर्जी के शामिल होने पर सस्पेंस था.
बैठक में 8 नए दलों की एंट्री
पटना में हुई बैठक के बाद विपक्ष को नया बुस्ट मिला है. बेंगलुरु की बैठक में आठ नए दल भी विपक्षी एकता में शामिल हो रहे हैं. इस लिहाज से भी बेंगलुरु की मीटिंग को काफी अहम माना जा रहा है. बेंगलुरु की मीटिंग में जो आठ और नए दल शामिल हो रहे हैं उनके नाम हैं. मरूमलारची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (MDMK), कोंगु देसा मक्कल काची (KDMK), विदुथलाई चिरुथिगल काची (VCK) , रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP), ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML), केरल कांग्रेस (जोसेफ) और केरल कांग्रेस (मणि). इन नई पार्टियों में से KDMK और MDMK 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी की सहयोगी हुआ करती थी।
लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे पर मंथन
विपक्ष की बैठक से पहले झारखंड के सीएम और शिवसेना उद्धव गुट के सांसद संजय राउत ने कहा कि यह बैठक विपक्ष की बैठक नहीं बल्कि इस देश में जो तानाशाही चल रही है उसके खिलाफ है. ये बैठक जो लोग देश को आगे लेकर जाना चाहते हैं उनकी है. ऐसे प्रमुख राजनीतिक दलों की बैठक है. बैठक में सीट बंटवारे पर चर्चा होगी और जो फ्रंट बनेगा उसका नाम क्या होगा उस पर चर्चा होगी. वहीं सीएम सोरेन ने भी कहा कि बैठक का मुख्य एजेंडा सीट बंटवार है, इस मसले पर मंथन होगा।
बेंगलुरु में विपक्षी महाकुंभ को विपक्ष के महाजुटान के तौर पर देखा जा रहा है. विपक्ष इसे बीजेपी को हराने के लिए अहम बता रहा है. लेकिन दो दर्जन से ज्यादा दलों के अंकगणित को देखा जाए तो 2019 में बीजेपी प्लस को 45% फीसदी वोट मिले थे. पूरा विपक्ष मिलकर 55 फीसदी वोट अपने पाले में कर लेगा और सरकार बन जाएगी. लेकिन ये इतना सीधा गणित नहीं है. क्योंकि विपक्ष के महामिलन में कई पार्टियां ऐसी है जिनका खाता 2019 में नहीं खुला था. यानी कई पार्टियां वन मैन कमेटी है, जिसके एक भी सांसद नहीं है. ऐसे में विपक्ष भले ताल ठोक रहा हो लेकिन राजनीति के जानकारों का मानना है कि 2024 का रण विपक्ष के लिए आसान नहीं होने वाला है।