Hat-trick for ISRO in RLV: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने एक बार फिर बड़ी कामयाबी हासिल की है। इसरो के रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल ‘पुष्पक’ की लगातार तीसरी बार सफल लैंडिंग हुई है। भारतीय स्पेस एजेंसी ने बताया कि पुष्पक की लैंडिंग को लेकर यह फाइनल टेस्टिंग थी, जो कामयाब रही। कर्नाटक के चित्रदुर्ग में RLV LEX-03 (रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल लैंडिंग एक्सपेरिमेंट 03) जिसे ‘पुष्पक’ नाम दिया गया है, उसकी सफल लैंडिंग हुई। ‘पुष्पक’ ने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में उन्नत स्वायत्त क्षमताओं का प्रदर्शन किया और बेहद सटीक होरिजेंटल लैंडिंग को अंजाम दिया। RLV LEX-03 का यह फाइनल टेस्ट सुबह 7.10 बजे किया गया।
क्या है आरएलवी प्रोजेक्ट?
आरएलवी प्रोजेक्ट इसरो का एक महत्वपूर्ण प्रोग्राम है, जो अंतरिक्ष में मानव उपस्थिति की भारत की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आवश्यक तकनीक उपलब्ध कराता है। रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल से ISRO को स्पेस में लो-कॉस्ट एक्सेस मिलेगा यानी स्पेस में ट्रैवल करना सस्ता हो जाएगा। इस सैटेलाइट से प्रोजेक्ट लॉन्चिंग सस्ती होगी, क्योंकि इसे दोबारा प्रयोग में लाया जा सकेगा।
पृथ्वी की कक्षा में घूम रही किसी सैटेलाइट में अगर खराबी आती है तो इस लॉन्च व्हीकल की मदद से उसको नष्ट करने की बजाय रिपेयर किया जा सकेगा। इसके अलावा, जीरो ग्रैविटी में बायोलॉजी और फार्मा से जुड़े रिसर्च करना आसान हो जाएगा। पहला लैंडिंग एक्सपेरिमेंट 2 अप्रैल 2023 और दूसरा 22 मार्च 2024 को किया गया था। यह अंतिम लैंडिंग एक्सपेरिमेंट था, जो सफल रहा। अब इसरो इस लॉन्च व्हीकल का ऑर्बिटल री-एंट्री टेस्ट करेगा। इस टेक्नोलॉजी से रॉकेट लॉन्चिंग सस्ती होगी और अंतरिक्ष में उपकरण पहुंचाने में कम लागत आएगी।