दांत साफ नहीं करने पर दिमाग पर पड़ता है ये असर, जानिए दिमाग और दांतों की सफाई के बीच क्या है कनेक्शन?

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नई दिल्ली: वैसे तो सभी लोग रोजाना अपने दांतो की सफाई बड़े ही बेहतरीन तरीके से करते हैं। मगर कुछ ही लोग होंगे जो ऐसा नहीं करते होंगे। ऐसे ही लोगों पर जापान के तोहोकू विश्वविद्यालय में एक अध्ययन किया गया, जहां पर पाया गया कि दांतो और मुंह की साफ-सफाई सीधे दिमाग से जुड़ी हुई है। अध्ययन में पता चला है कि मसूड़ों की बीमारी और दांतों को होने वाला नुकसान मस्तिष्क के एक अहम हिस्से हिप्पोकैंपस में सिकुड़न से जुड़ा है।

इस अध्ययन के नतीजे पांच जुलाई 2023 को अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के मेडिकल जर्नल न्यूरोलॉजी में प्रकाशित हुए हैं। गौरतलब है कि हिप्पोकैंपस दिमाग के टेंपोरल लोब में पाया जाता है। दिमाग का यह हिस्सा नई चीजों को सीखने और पुरानी को याद रखने में मदद करता है।

साथ ही यह क्षेत्र अल्जाइमर नामक बीमारी से भी जुड़ा है। हालांकि, अध्ययन इस बात की पुष्टि नहीं करता है कि मसूड़ों की बीमारी या दांत खराब होने से अल्जाइमर हो सकता है। यह अध्ययन केवल उनके बीच के संबंध को उजागर करता है।

इस बारे में अध्ययन और जापान की तोहोकू विश्वविद्यालय से जुड़े लेखक सातोशी यामागुची ने प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी है कि, “दांतों का गिरना और मसूड़ों की बीमारी व्यापक समस्याएं हैं, जिनमें दांतों के आसपास के ऊतकों में होने वाली सूजन शामिल है। इनके कारण मसूड़े सिकुड़ सकते हैं और दांत ढीले हो सकते हैं। ऐसे में यह जांचना महत्वपूर्ण है कि क्या इन मौखिक स्वास्थ्य समस्याओं और मनोभ्रंश के बीच कोई संबंध है।”

उनका कहना है कि, “अध्ययन से पता चला है कि मौखिक स्वास्थ्य से जुड़ी यह स्थितियां, सोच और स्मृति के लिए जिम्मेवार मस्तिष्क क्षेत्र को प्रभावित कर सकती हैं। ऐसे में यह खोज दांतों की बेहतर देखभाल के महत्व पर जोर देती है, क्योंकि यह उनके मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।“

अपने इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 67 वर्ष की औसत आयु वाले 172 लोगों को शामिल किया था, जिन्हें अध्ययन की शुरूआत में याददाश्त से जुड़ी कोई समस्या नहीं थी। अध्ययन की शुरूआत में इन लोगों के दांतों और याददाश्त का परीक्षण किया गया था।

क्या है दिमाग और मसूड़ों की बीमारी के बीच सम्बन्ध

शोधकर्ताओं ने पाया कि दांतों की संख्या और मसूड़ों की बीमारी की गंभीरता मस्तिष्क के बाएं हिप्पोकैम्पस में बदलावों से जुड़ी थी। जिन लोगों में मसूड़ों की बीमारी गंभीर नहीं थी, लेकिन उनमें दांतों की संख्या कम थी, उसका सम्बन्ध बाएं हिप्पोकैम्पस में सिकुड़न की तेज दर से जुड़ा था। इसी तरह जिन लोगों में ज्यादा दांत सलामत थे लेकिन उन्हें मसूड़ों की गंभीर बीमारी थी, उनमें भी मस्तिष्क के उसी क्षेत्र में सिकुड़न की दर तेज थी।

अगर आप भी अपने दांतों और मुंह की सफाई नियमित रूप से नहीं करते हैं तो अब शुरू कर दीजिए। क्योकि दिमांग के लिए सफाई बहुत जरूरी है।