Rajasthan News: 36 साल बाद आया सती महिमामंडन केस में फैसला, 8 आरोपी बरी

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Rajasthan News: करीब 36 साल पुराने सती महिमामंडन केस में आज जयपुर महानगर द्वितीय की सती निवारण कोर्ट ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए मामले से जुड़े 8 आरोपियों को बरी कर दिया है। जानकारी के मुताबिक, कोर्ट ने सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी किया है।

इसी के साथ कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “सती निवारण अधिनियम की धारा-5 में पुलिस ने सभी को आरोपी बनाया है। यह धारा कहती है कि आप सती प्रथा का महिमा मंडन नहीं कर सकते हैं। लेकिन इस धारा में आरोप साबित करने के लिए जरूरी है कि धारा-3 के तहत सती होने की कोई घटना हुई हो।”

इसी के साथ कोर्ट ने कहा कि “पुलिस ने पत्रावली पर सती होने की किसी भी तरह की घटना का कोई जिक्र नहीं किया है। वहीं, मामला दर्ज करने वाले पुलिसकर्मियों और गवाहों ने भी इन आरोपियों की पहचान नहीं की है। ऐसे में कोर्ट ने सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।”

मामले में आरोपियों की ओर से पैरवी करने वाले अधिवक्ता अमनचैन सिंह शेखवात और संजीत सिंह चौहान ने जानकारी देते हुए बताया कि “कोर्ट ने आज महेंद्र सिंह, दशरथ सिंह, श्रवण सिंह, जितेंद्र सिंह, उदय सिंह, लक्ष्मण सिंह, निहाल सिंह और भंवर सिंह को बरी कर दिया है।

मामला करीब 36 साल पहले हुआ था दर्ज

22 सितंबर 1988 को करीब 36 साल पहले सीकर के तत्कालीन थोई थाने में पुलिस ने एक मामला दर्ज किया था। जिसमें पुलिस ने कहा था कि कई लोग ट्रक में सवार होकर सत्संग भवन दिवराला से जुलूस निकालकर सीताराम जी मंदिर तक सती माता के जयकारे लगाते हुए गए थे। इन लोगों ने ट्रक पर सती माता की फोटो लगा रखी थी और यह लोग सती प्रथा के बैन होने के बावजूद सती का महिमा मंडल कर रहे थे।

क्या था मामला?

चार सितंबर 1987 को सीकर जिले के दिवराला गांव में अपने पति की मौत के बाद उसकी चिता पर जलकर 18 साल की रूप कंवर ‘सती’ हो गई थी। जिसके बाद पूरी दुनिया का ध्यान इस घटना ने खींच लिया था। 4 सितंबर 1987 को हुई इस घटना में 32 लोगों को गिरफ्तार किया था, जो अक्टूबर 1996 में सीकर कोर्ट द्वारा बरी हो गए थे।

बता दें, घटना के बाद 16 सितंबर 1987 को राजपूत समाज ने रूप कंवर की तेरहवीं (13 दिन की शोक परंपरा) के मौके पर चुनरी महोत्सव का आयोजन किया। चुनरी महोत्सव में शामिल होने के लिए दिवराला गांव में लाखों लोग जमा हुए थे। जानकारी के मुताबिक, हाईकोर्ट की रोक के बावजूद भी चुनरी महोत्सव का आयोजन किया गया था। लेकिन चुनरी महोत्सव मामले में कोई केस नहीं बना। इसीलिए यह मामला आगे नहीं बढ़ा।