Waqf संसोधन बिल पर विपक्ष का बवाल, जेपीसी मीटिंग का किया ब्वॉयकाट

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Waqf Amendment Bill: विपक्षी सांसदों ने सोमवार को वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक का बहिष्कार किया. सदस्यों ने आरोप लगाया कि कर्नाटक राज्य अल्पसंख्यक आयोग और कर्नाटक अल्पसंख्यक विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष अनवर मणिप्पादी का प्रस्तुतीकरण वक्फ विधेयक के बारे में नहीं था.

सैद्धांतिक हवाला देकर मीटिंग का किया ब्वॉयकाट

उन्होंने आरोप लगाया कि अनवर कर्नाटक सरकार और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ अनावश्यक आरोप लगा रहे हैं, जो समिति के अनुरूप नहीं है और स्वीकार्य नहीं है. शिवसेना (यूबीटी) के सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि उन्होंने बैठक का बहिष्कार किया है क्योंकि समिति सिद्धांतों के साथ काम नहीं कर रही है.

सावंत ने कहा, “हमने बहिष्कार किया है क्योंकि समिति समिति के सिद्धांतों और मानदंडों के साथ काम नहीं कर रही है. नैतिक और सैद्धांतिक रूप से वे गलत हैं.”

8 अगस्त को पेश किया गया था बिल

विपक्षी सांसदों ने वक्फ विधेयक (Waqf Amendment Bill) पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के बारे में अपनी सभी चिंताओं पर चर्चा करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष से संपर्क करने का फैसला किया है. इससे पहले आज, अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन और उनके पिता हरि शंकर जैन अपनी टीम के साथ संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष अपनी प्रस्तुति दर्ज करने के लिए संसद एनेक्सी पहुंचे.

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वक्फ (संशोधन) विधेयक (Waqf Amendment Bill) 8 अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था और फिर तीखी बहस के बाद इसे जेपीसी को भेज दिया गया था. वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर जेपीसी 1 अक्टूबर तक विभिन्न हितधारकों के साथ अनौपचारिक चर्चाओं की एक श्रृंखला आयोजित कर रही है. इन परामर्शों का उद्देश्य वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों को परिष्कृत करना है, जो देश भर में 600,000 से अधिक रजिस्टर्ड वक्फ संपत्तियों के मैनेजमेंट को नियंत्रित करता है.

संसद के अगले सत्र के पहले हफ्ते में जमा करनी है रिपोर्ट

वक्फ अधिनियम, 1995, वक्फ संपत्तियों को विनियमित करने के लिए बनाया गया था, लेकिन इस पर लंबे समय से मिसमैनेजमेंट, भ्रष्टाचार और अतिक्रमण के आरोप लगे हैं. वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024, अवैध रूप से कब्जे वाली संपत्तियों को वापस पाने के लिए डिजिटलीकरण, सख्त ऑडिट, पारदर्शिता और कानूनी तंत्र पेश करते हुए व्यापक सुधार लाने का प्रयास करता है. समिति को अगले संसद सत्र के पहले सप्ताह के अंतिम दिन तक अपनी रिपोर्ट लोकसभा को सौंपनी है.

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