क्या है Citizenship Act का Section 6A, जिसकी वैधता रहेगी बरकरार, समझें पूरा मामला

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नई दिल्ली।  गुरुवार को नागरिकता अधिनियम की धारा 6A (Section 6A of Citizenship Act) की संवैधानिक वैधता  को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. शीर्ष अदालत ने 4-1 बहुमत से फैसला दिया कि  6ए की संवैधानिक वैधता बरकरार रहेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में क्या कहा ?

मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने  फैसला सुनाते हुए कहा कि असम समझौता अवैध प्रवास की समस्या का राजनीतिक समाधान है. न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति एम.एम. सुन्दरेश और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने बहुमत से दिए गए अपने फैसले में कहा कि संसद के पास इस प्रावधान को लागू करने की विधायी क्षमता है. वहीं  न्यायमूर्ति पारदीवाला ने असहमति पूर्ण निर्णय देते हुए धारा 6ए को असंवैधानिक करार दिया. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा, कि किसी राज्य में विभिन्न जातीय समूहों की मौजूदगी का मतलब अनुच्छेद 29(1) का उल्लंघन नहीं है.

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Section 6A of Citizenship Act क्या है?

  • नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6ए को 1985 में असम समझौते के एक भाग के रूप में बांग्लादेश से असम में अवैध प्रवास की समस्या को खत्म करने  के लिए पेश किया गया था.
  • यह विधेयक 1 जनवरी, 1966 से पहले असम में प्रवेश करने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान करता है, तथा 1 जनवरी, 1966 और 24 मार्च, 1971 के बीच असम में प्रवेश करने वाले लोगों को 10 वर्ष भारत में रहने  के बाद भारतीय नागरिक के रूप में पंजीकरण कराने की अनुमति देता है.  इस 10 वर्ष के दौरान वे मतदान नहीं कर सकते.
  • ऐसे प्रवासी जो 24 मार्च 1971 के बाद आये है उनका पता लगाया जाएगा और उन्हें निर्वासित किया जाएगा.

क्या है धारा 6A विवाद

धारा 6A का विवादास्पद रहने का मुख्य कारण, जनसांख्यिकीय चिंता है. इसके कारण इसकी संवैधानिक वैधता को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी.