भारत ने अंतरिक्ष अभियानों में रचा नया इतिहास, लद्दाख में शुरू हुआ पहला एनालाग अंतरिक्ष मिशन

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भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक नई उपलब्धि हासिल की है. लद्दाख के लेह में भारत का पहला एनालाग अंतरिक्ष अभियान शुरू हो गया है. बता दें कि यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के ह्यूमन स्पेसफ्लाइट सेंटर, एएकेए स्पेस स्टूडियो, लद्दाख विश्वविद्यालय, आईआईटी बॉम्बे, और लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद के सहयोग से संचालित किया जा रहा है. इस मिशन का उद्देश्य पृथ्वी से दूर अन्य खगोलीय पिंडों पर बेस स्टेशनों की चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में आवश्यक तैयारियों को परखना है.

गगनयान और भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों में होगा योगदान

इस अभियान से भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के साथ-साथ चंद्रमा और मंगल पर इंसानों को भेजने के मिशन में भी सहायता मिलेगी. लद्दाख का ठंडा वातावरण, ऊंचाई पर स्थित क्षेत्र और बंजर भूभाग मंगल और चंद्रमा जैसी परिस्थितियों से मेल खाता है, जिससे इस स्थान का चयन इन मिशनों के लिए उपयुक्त साबित हुआ है.

अंतरिक्ष यात्रियों की प्रशिक्षण और हब-1 की सुविधाएं

इस एनालाग मिशन के तहत इसरो ने ऐसा स्थल तैयार किया है, जहां अंतरिक्ष जैसा वातावरण है. यह स्थान हाइड्रोपोनिक्स फार्म, रसोई और स्वच्छता जैसी सुविधाओं से लैस हब-1 नामक हब है, जहां वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्री परीक्षणों के माध्यम से नई तकनीकों और रोबोटिक उपकरणों का अभ्यास करेंगे.

अंतरिक्ष विजन 2047 के लिए अहम कदम

भारत के अंतरिक्ष विजन 2047 के तहत 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) स्थापित करने और 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय को उतारने का लक्ष्य है. इस मिशन के दौरान जुटाए गए आंकड़े भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों में भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की सहायता करेंगे, जिससे भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र में योगदान और सशक्त बनेगा.

इस अभियान के बारे में इसरो के अध्यक्ष ने कहा है कि भारत में निजी कंपनियों की बढ़ती भूमिका अंतरिक्ष को और अधिक सुलभ बनाएगी, जिससे भारत के अंतरिक्ष अभियानों का विस्तार होगा.