सावधान! यहां ट्रकों का आना-जाना हुआ बिल्कुल बंद, जानिए क्या है मामला…

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रेवाड़ी/हरियाणा: अगर आप बावल औद्योगिक क्षेत्र में मालवाहक वाहन लेकर जा रहे हैं, तो हम आपको सावधान कर देते हैं कि अब बावल औद्योगिक क्षेत्र में माल वाहक वाहन को एक तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। यह प्रतिबंध सरकार ने नहीं बल्कि HSIIDC के अधिकारियों ने लगाया है ताकि, इन वाहनों से सड़कें ना टूटे। हुआ यूं कि बावल औद्योगिक क्षेत्र में कुछ महीने पहले ही करोड़ों रुपए लगाकर सड़कों का निर्माण किया गया था।

दो महीने में हो गई नए रोड की हालत खराब

सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था एक दिन एनएच-48 पर  जाम लग गया ऐसे में कुछ वाहन रूध पुल के नजदीक से औद्योगिक क्षेत्र में प्रवेश कर गए जैसे ही वाहन इन सड़कों से गुजरे वैसे ही भ्रष्टाचार की रोड़ियां निकलनी शुरू हो गई। ऐसा नहीं है कि जहां से वाहन गुजरे वहां की सड़कों से ही रोड़िया निकली हों।

बल्कि पूरे बावल औद्योगिक क्षेत्र की सड़कें पूरी तरह से खस्ताहाल हो गई है। दो माह बाद ही भ्रष्टाचार की रोड़िया निकलने से अधिकारी भी सकते में आ गए की अब करे तो क्या करें। बनने के कुछ माह बाद ही यूं सड़कों का टूट जाने का मामला सहकारिता मंत्री डॉ बनवारी लाल के भी संज्ञान में लाया गया।

सहकारिता मंत्री ने दिया था जांच का आश्वासन

मंत्री जी ने जांच कराने का आश्वासन भी दिया था, लेकिन आश्वासन, आश्वासन ही रह गया। भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने का दावा करने वाली सरकार को चाहिए कि, जनता की गाढ़ी कमाई को यू ठिकाने लगाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें।

इस संबंध में एचएसआईआईडीसी के महाप्रबंधक अशोक यादव ने बताया कि, करीब 7 करोड़ रुपए की सड़कें टूट चुकी है। मजेदार बात तो यह है कि महाप्रबंधक जी को इसमें भ्रष्टाचार कहीं दिखाई नहीं देता। साहब दोषी तो उन वाहनों को मानते हैं जो इन पर से होकर गुजरें।

‘सड़कों के निर्माण में हुआ करोड़ों का गोलमाल’

उनका मानना है कि सड़कों से  गुजरने वाले वाहनों ने ही इन सड़कों के निर्माण में उपयोग की गई सामग्री को बाहर लाकर रख दिया। अब साहब को कौन बताए कि औद्योगिक क्षेत्र के रोड सिर्फ दो पहिया वाहनों के लिए ही नहीं बनाए जाते। औद्योगिक क्षेत्र है तो स्वाभाविक सी बात है कि माल लेकर ट्रक का आना-जाना तो इन्हीं सड़कों से होगा।

लोगों का कहना है कि इससे पहले भी औद्योगिक क्षेत्र की  सड़कों का निर्माण कराया गया था, तो भारी गोलमाल किया गया था और इस बार भी वही कहानी दोहराई गई। सिर्फ एक या दो वहीं, सड़क ठीक बनाई गई जहां से ज्यादा वाहन गुजरते हैं। अगर सरकार निष्पक्षता से जांच कराए तो इन सड़कों के निर्माण में करोड़ों रुपए का गोलमाल  सामने आ सकता है।

रिपोर्ट- सुरेंद्र गौड़

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