झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा तेजी से चुनावी रंग पकड़ता जा रहा है. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और संथाल जनजाति के बड़े नेता चंपाई सोरेन ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि झारखंड के सीमावर्ती गांवों पर बांग्लादेशी घुसपैठियों का कब्जा बढ़ रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि संथाल परगना के एक दर्जन से अधिक गांवों में अब कोई आदिवासी परिवार नहीं बचा है. सोरेन ने वादा किया कि अगर उनकी सरकार बनी तो वे इन घुसपैठियों से जमीनें वापस लेकर आदिवासियों के हक की रक्षा करेंगे.
BJP के टिकट पर चुनाव लड़ने की नई शुरुआत
30 साल तक झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) का हिस्सा रहे चंपाई सोरेन इस बार बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं. वे राज्य में आदिवासी अधिकारों की रक्षा और बांग्लादेशी घुसपैठ को रोकने के लिए बीजेपी की ओर से चुनाव लड़ रहे हैं. चंपाई सोरेन ने 28 अगस्त को सोशल मीडिया पर JMM छोड़ने का ऐलान किया था. उन्होंने आरोप लगाया कि JMM ने अपनी विचारधारा से समझौता कर लिया है, इसलिए अब उन्होंने पार्टी को अलविदा कहने का निर्णय लिया. साल 2000 में झारखंड राज्य के बनने के बाद से चंपाई सोरेन को हर चुनाव में जीत हासिल हुई है. वे अपने क्षेत्र में ‘कोल्हान टाइगर’ के नाम से मशहूर हैं. चंपाई, JMM के संस्थापक शिबू सोरेन के करीबी रहे हैं और उन्हें पार्टी में दूसरा सबसे बड़ा नेता माना जाता था.
शिबू सोरेन के करीबी से BJP के सिपाही तक का सफर
चंपाई सोरेन को कभी JMM में शिबू सोरेन का दाहिना हाथ माना जाता था. अलग झारखंड राज्य के निर्माण के संघर्ष में उन्होंने शिबू सोरेन का साथ दिया और पार्टी में दूसरे नंबर के नेता की भूमिका निभाई. हेमंत सोरेन के जेल में रहते हुए उन्हें झारखंड का मुख्यमंत्री भी बनाया गया था. हालांकि, हेमंत सोरेन के वापस आते ही उन्हें पद छोड़ना पड़ा. समय के साथ JMM के साथ उनकी दूरियां बढ़ती गईं, और आखिरकार अगस्त के अंत में उन्होंने BJP का दामन थाम लिया.
JMM छोड़ने की वजह?
चंपाई सोरेन का कहना है कि उन्होंने जिस विचारधारा के साथ JMM को सींचा था, पार्टी अब उससे भटक गई है। उन्होंने कहा कि पार्टी में उनकी वरिष्ठता के बावजूद उन्हें किसी निर्णय में शामिल नहीं किया गया. JMM पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी में कोई ऐसा फोरम नहीं था जहां वे अपनी बात रख सकें. उन्होंने बीजेपी को आदिवासियों के अधिकारों के प्रति प्रतिबद्ध बताते हुए कहा कि बीजेपी ही एकमात्र पार्टी है जो राज्य में बढ़ते बांग्लादेशी घुसपैठ को गंभीरता से ले रही है.
घुसपैठियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने का संकल्प
चंपाई सोरेन ने झारखंड में तेजी से हो रही बांग्लादेशी घुसपैठ को एक बड़ा मुद्दा बताया है. उन्होंने कहा कि यदि राज्य में BJP की सरकार बनी तो आदिवासी जमीनों पर अवैध कब्जे को रोका जाएगा. उन्होंने साफ किया कि आदिवासियों की परंपरा के अनुसार हर बड़ा फैसला बैसी (सामूहिक बैठक) में लिया जाएगा और इस मुद्दे पर पूरे समाज को साथ लेकर आगे बढ़ा जाएगा.
भ्रष्टाचार और प्रशासन में सुधार की मांग
चंपाई सोरेन ने हेमंत सोरेन सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि झारखंड में कई अधिकारी, नेता और व्यापारी भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि अगर हेमंत सोरेन को लगता है कि उनकी सरकार ने अच्छा काम किया है, तो उन्हें जनता के सामने आकर इसका दावा करना चाहिए. चंपाई ने हाल ही में हुए शराब घोटाले को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा और कहा कि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए BJP सरकार बनाना जरूरी है.
सरना धर्म कोड की मांग?
चंपाई सोरेन ने झारखंड में सरना धर्म कोड लागू करने की पुरजोर वकालत की. उन्होंने बताया कि आदिवासियों के हक और उनकी परंपराओं की रक्षा के लिए सरना धर्म कोड जरूरी है. चंपाई ने कहा कि झारखंड राज्य के गठन के लिए उन्होंने शिबू सोरेन के साथ संघर्ष किया और बीजेपी ने हमेशा आदिवासियों के हक के लिए कदम उठाए हैं. उन्होंने विश्वास जताया कि बीजेपी सरकार बनने पर सरना धर्म कोड की मांग पर गंभीरता से विचार किया जाएगा.
धर्मांतरण और लव जिहाद पर चंपाई का रुख
धर्मांतरण के मुद्दे पर भी चंपाई सोरेन ने कड़ा रुख अपनाया. उन्होंने कहा कि झारखंड में पिछले कुछ सालों से धर्मांतरण की गतिविधियां बढ़ रही हैं, और बीजेपी इस मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि एक समुदाय को किसी अन्य धर्म में परिवर्तित करना गलत है और इसे रोकने के लिए BJP कड़े कदम उठाएगी.
प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह से मुलाकात
जब चंपाई सोरेन पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मिले, तो उन्होंने झारखंड के विकास और आदिवासियों की सुरक्षा के मुद्दे उठाए. चंपाई ने कहा कि उनकी मुलाकात में उन्होंने झारखंड के लोगों की समस्याओं और आदिवासियों के अस्तित्व की रक्षा पर चर्चा की.
वहीं, अब चंपाई सोरेन का BJP में आना और घुसपैठ के मुद्दे को जोर-शोर से उठाना झारखंड की राजनीति को एक नया मोड़ दे रहा है. उनके इस रुख से राज्य की सियासत में एक नई धार आई है, और आने वाले चुनाव में इसका असर झारखंड की जनता के फैसले पर दिखाई दे सकता है.