जान जोखिम में डालकर अंतिम संस्कार के लिए ले जाते शव, इस गांव में नहीं है सड़क  

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Dead bodies are taken for the last rites risking their lives, there is no road in this village
Dead bodies are taken for the last rites risking their lives, there is no road in this village

सिरोही जिले के भारजा के निकटवर्ती गांव वाड़ा-काला मगरा के बीच टूटी रपट के कारण ग्रामीण परेशान हैं. यहां टूटी रपट के कारण जान जोखिम में डालकर शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाता है. लोगों का कहना है कि आजादी के 75 साल के बाद भी आमजन मूलभूत सुविधा से वंचित है. आखिर प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधि गहरी नींद से कब जागेंगे. 

बता दें कि रोहिडा पुलिस थाना अंतर्गत गांव वाडा का सार्वजनिक श्मशान घाट हाईवे काला मगरा जाने वाले मार्ग पर सुकड़ी नदी के दूसरे किनारे पर है. ऐसे में गांव में किसी की मौत होने पर लोगों को इस टूटी रपट और पानी के तेज बहाव से होकर शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाना पड़ता है. 

वाड़ा गांव के ग्रामीण बताते हैं कि गांव में पेयजल की समुचित व्यवस्था नहीं है. इतना ही नहीं सुकड़ी नदी में यह बनी रपट लंबे समय से क्षतिग्रस्त होने के कारण आवागमन में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. विभाग और जनप्रतिनिधियों से कई बार मांग करने के बावजूद इसे दुरुस्त नहीं करवाया गया है. जिसके चलते पिछले एक माह में 2 परिवार के इकलौते चिराग बुझ गए.

वाड़ा गांव के लोगों के लिए इस बार की बारिश कहर बरपा रही है. इस रपट पर फिसल कर एक महीने में दो किशोरों की मौत हो गई. दोनों किशोर परिवार के इकलौते बेटे थे. वाड़ा गांव में स्थित सार्वजनिक पेयजल टंकी में पिछले कुछ दिनों से पानी नहीं होने से गांव का 17 वर्षीय किशोर कुलदीपसिंह उसकी मवेशियों को पानी पिलाने के लिए नदी की तरफ गया था. जहां पैर फिसलने से उस की दर्दनाक मौत हो गई.

आबू पिण्डवाड़ा विधान सभा क्षेत्र में आए दिन ऐसी घटनाएं होती है. लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधि और जिम्मेदार लोग इसको लेकर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. 

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