नई दिल्ली/डेस्क: आप, हम और हर भारतीय एक लाख 40 हजार रुपये का कर्जदार है। अब अगर इसे हम अपनी कुल जनसंख्या से गुणा करें तो आपको पता चलेगा कि भारत अब करीब 205 लाख करोड़ रुपये का कर्ज ले चुका है। अब देखिये इसे भी आपको दो हिस्सों में बांटना होगा क्योंकि इसमें 161 लाख करोड़ रुपये केंद्र सरकार को और 44 लाख करोड़ रुपये राज्य सरकार को देने होंगे।
2014 तक यह रकम सिर्फ 55 लाख करोड़ रुपये थी। मोदी सरकार ने इसी कर्ज को कम करने का वादा भी किया था लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है, हालांकि यूपीए की तुलना में मोदी सरकार ने कम विदेशी कर्ज लिया है।
अब ये आंकड़ा वाकई चौंकाने वाला है, यहां तक कि आईएमएफ ने भारत को चेतावनी भी दे दी है। अब आप सोचेंगे कि सरकार इतना कर्ज क्यों लेती है। देखिये, इसे आप अपना ही उदाहरण लेकर समझिये।आप 100 रुपये कमाते हैं, आपका खर्च 200 रुपये है और बाकी 100 रुपये के लिए आपको कर्ज लेना होगा।
सरकार कोविड के बाद से जनता को कई तरह की सब्सिडी दे रही है, जैसे 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन देना, मुफ्त देना। 10 करोड़ महिलाओं को सिलेंडर और 9 करोड़ किसानों को सालाना 6,000 रुपये। आईएमएफ की चेतावनी पर भारत सरकार ने कहा है कि ज्यादातर लोन भारतीय रुपये में हैं, इसलिए आप सभी टेंशन फ्री रहें।
लेखक: करन शर्मा