नई दिल्ली/डेस्क: आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा की समस्याएं बढ़ रही हैं। हाल के दिनों से, उनके द्वारा दिल्ली सेवा विधेयक को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने के प्रस्ताव को लेकर विवाद बढ़ गया है और भाजपा उनके खिलाफ आक्रमण कर रही है। उन्हें फेक सिग्नेचर के मामले में भी खतरा है।
क्या है पूरा मामला?
आज, पटियाला हाउस कोर्ट में राघव चड्ढा की याचिका के आधार पर सरकारी बंगले के आवंटन को रद्द करने के मामले की सुनवाई होगी। सचिवालय द्वारा उनके सरकारी बंगले का आवंटन पहले ही रद्द कर दिया गया था, जिसके खिलाफ उन्होंने पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दायर की थी।
राघव चड्ढा के वकीलों ने दावा किया कि सरकारी बंगले का आवंटन बिना किसी कारण और आधार के रद्द किया गया है, जबकि उनके पास सीपीसी के ऑर्डर 7 रूल 11 के तहत आवास का हक है।
पटियाला हाउस कोर्ट ने क्या कहा था?
राज्यसभा सचिवालय के वकील ने अदालत से कहा था कि राघव चड्ढा इस मामले में मीडिया के सामने बयान दे रहे हैं। जिसके जवाब में कोर्ट ने कहा कि इस स्थिति में कोर्ट कुछ नहीं कर सकता। राघव चड्ढा के वकीलों ने राज्यसभा सचिवालय के वकील के इस तर्क का खंडन किया था।
उस पर राज्यसभा सचिवालय के वकील ने कोर्ट में अपने जवाब को प्रस्तुत करने के लिए समय की मांग की थी। कोर्ट ने राज्यसभा सचिवालय को 10 अगस्त को अपने पक्ष की प्रस्तुति करने का आदेश दिया था। आज उसी मामले में राज्यसभा के वकील कोर्ट के सामने अपने पक्ष को प्रस्तुत करेंगे।
टाइप 7 बंगला किसे मिलता है?
पहले बार सांसद बनने वाले जन प्रतिनिधियों के लिए सरकारी आवास का आवंटन टाइप-V दर्जे में होता है, लेकिन राघव चड्ढा को अस्थायी रूप से टाइप 7 बंगला आवंटित कर दिया गया।
टाइप-VII बंगला आमतौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल या मुख्यमंत्री के लिए रखा जाता है। इस मामले में विवाद होने के बाद, संबंधित एजेंसी ने तात्कालिक रूप से टाइप 7 बंगला का आवंटन रद्द कर दिया था।
लेखक: करन शर्मा