लक्ष्मण की राह पर चले खतरनाक तरीके से बढ़ रहे हैं केएल राहुल, क्या सरफराज-गिल के चलते खत्म हो जाएगा करियर?

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IND vs NZ: भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेली जा रही 3 मैचों की टेस्ट सीरीज में भारतीय बैटर केएल राहुल ने लंबे समय बाद वापसी की, हालांकि पहले मैच में उनका आगाज वैसा नहीं जिसकी फैन्स उम्मीद कर रहे थे. अब सीरीज के दूसरे मैच में भी उनकी जगह पक्की नजर नहीं आ रही है और उनका टेस्ट करियर खतरनाक तरीके से पूर्व क्रिकेटर वीवीएस लक्ष्मण के करीब होता जा रहा है.

लंबे समय तक पक्की नहीं थी लक्ष्मण की जगह

वीवीएस लक्ष्मण की बात करें तो उन्होंने अपने साढ़े 15 साल के अंतर्राष्ट्रीय करियर के पहले हिस्से में लगातार खुद को खतरे में ही पाया. अपने जादुई स्ट्रोक-प्ले और निचले क्रम को खुद से ऊपर बल्लेबाजी करने के लिए प्रेरित करने की शैली के बावजूद जब भी चयनकर्ताओं को टीम से किसी को बाहर करना होता तो वो पहला नाम होते थे जो दिमाग में आते थे. हालांकि इंटरनेशनल करियर के दूसरे हिस्से में भी ये समस्या उनके साथ बरकरार रही, फिर भले ही उन्होंने इस दौरान कई मैच विनिंग और शानदार पारियां खेली लेकिन नेशनल टीम की तरफ से उन्हें सिक्योरिटी कभी नहीं मिल पाई.

खतरे में है केएल राहुल की जगह

कुछ ऐसा ही हाल केएल राहुल (KL Rahul) के टेस्ट करियर का भी हो गया है जिनके लिए यह कहना गलत नहीं होगा कि उनके लिए हर मैच अपनी जगह बरकरार रखने के लिए होता है. दिसंबर 2014 में ऑस्ट्रेलिया में अपने टेस्ट डेब्यू के लगभग एक दशक बाद भी, उन्हें अभी तक कोई स्थायी स्थान नहीं मिला है. इसका बड़ा कारण उनके प्रदर्शन में निरंतरता न होना और लगातार चोटों से जूझना भी है.

इसके चलते वो अब तक के टेस्ट करियर में सिर्फ 53 टेस्ट मैचों में 33.87 के मामूली औसत के साथ रह गए हैं. लक्ष्मण के उलट जिन्हें 1997 से तीन साल के लिए सलामी बल्लेबाज के रूप में धकेल दिया गया था, टीम मैनेजमेंट ने केएल राहुल (KL Rahul) के लिए जगह बनाने के लिए लगातार अतिरिक्त प्रयास किया है.

खराब प्रदर्शन और चोटों से मुश्किल हुआ सफर

उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न में मिडिल ऑर्डर से शुरुआत की तो वहीं सिडनी में अगले टेस्ट में ओपनिंग की और धमाकेदार शतक लगाया. इसके बाद अगले साथ वो अगले 9 साल तक इसी पॉजिशन पर बने रहे. इस दौरान चोट या खराब फॉर्म के चलते उन्हें किनारे भी किया गया लेकिन जब वापसी की इसी पोजिशन पर की. हालांकि अब लगता है कि टीम ने उनके लिए मिडिल ऑर्डर का स्थान चुन लिया है जहां पिछले दिसंबर में दक्षिण अफ्रीका में लगभग आखिरी बार उन्हें आजमाया गया था.

मिडिल ऑर्डर में नंबर 6 पर खेलते हुए केएल राहुल (KL Rahul) का करियर अभी तक रहस्य बना हुआ है. सेंचुरियन की खराब पिच पर खेलते हुए उन्होंने पहली पारी में 101 रन बनाए जो कि भारतीय टीम की ओर से इस मैच में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज भी बने. दो टेस्ट मैच बाद हैदराबाद में इंग्लैंड के खिलाफ, उन्होंने 86 रन की बेहतरीन पारी खेली, लेकिन हैमस्ट्रिंग में खिंचाव के कारण उन्हें अंतिम चार टेस्ट से बाहर होना पड़ा.

गिल की वापसी से राहुल हो सकते हैं बाहर

इसके बाद केएल राहुल ने बांग्लादेश के खिलाफ पिछले महीने ही सीरीज में वापसी की और अपने प्रदर्शन से बता दिया कि उन्हें इतना अधिक क्यों रेट किया जाता है और जब वो मेंटल रूप से खुद को बांधना चुनते हैं तो वो निराश नहीं करते हैं. कानपुर में सिर्फ 43 गेंदों में उनकी 68 रनों की पारी सबसे शानदार रही. हालांकि न्यूजीलैंड सीरीज के पहले टेस्ट मैच की दो पारियों के बाद एक बार फिर से कुल्हाड़ी उनके सिर पर लटकती नजर आ रही है.

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क्रिकेट एक्सपर्ट्स के बीच लगातार यह सवाल उठ रहा है कि क्या राहुल (KL Rahul) पुणे में खेलने वाली प्लेइंग XI में शामिल होंगे या शामिल होने चाहिए. भारतीय टीम के लिए पिछले 6 टेस्ट मैचों में 3 शतक लगाने वाले शुभमन गिल गर्दन में स्ट्रेन की वजह से पहले मैच में नहीं खेल पाए थे, जिसके चलते सरफराज खान को जगह मिली. रिप्लेसमेंट बल्लेबाज सरफराज खान ने भी मौके का फायदा उठाते हुए 150 रनों की एक यादगार पारी खेली, जो अब गिल के पूरी तरह फिट होने के बाद अपनी जगह खोते हुए नजर नहीं आ रहे हैं.

पहले मैच में फ्लॉप होने पर उठ रहे सवाल

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी तीन प्रारूपों में भारत का नेतृत्व करने वाले कुछ लोगों में से एक, राहुल (KL Rahul) ने अपने घरेलू मैदान, एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में 0 और 12 के स्कोर के साथ अपने केस में मदद नहीं की. भारतीय टीम पिछले कुछ सालों से 5 गेंदबाज के कॉम्बिनेशन के साथ उतर रहे हैं और अगर वो उसे जारी रखते हैं तो 6 बल्लेबाजों को चुनना मुश्किल काम हो जाएगा. अगर सरफराज और गिल दोनों को कॉम्बिनेशन में रखा जाता है तो राहुल ही वो खिलाड़ी नजर आते हैं जिन पर कुल्हाड़ी चल सकती है.

द्रविड़ की तरह चुनौतियों से भरा है सफर

राहुल (KL Rahul) काफी टैलेंटेड हैं और बल्लेबाजी को बहुत आसान बनाते हैं, लेकिन उनके रन बनाने की निरंतरता में कमी उनके केस को कमजोर करती है. वो ठीक उसी राह पर हैं जिस पर कभी कर्नाटक से आने वाले उनके ही नाम वाले राहुल द्रविड़ चले थे. दोनों ने 21 साल बाद 50 ओवर का विश्वकप खेला, टूर्नामेंट में अच्छे रन बनाए और आखिर में आस्ट्रेलिया के हाथों करारी हार का सामना किया. टीम के लिए मुश्किल समय पर विकेटकीपिंग की अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाली और कप्तानी में भी अच्छी-बुरी यादों को संजोया. हालांकि कई बार टीम के लिए सबकुछ त्यागने वाले का भाग्य उसका साथ नहीं देता है और शायद ये चीज केएल राहुल पर भी लागू हो रही है.