छिंदवाड़ा/मध्य प्रदेश: एक ओर सरकार प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है। वहीं, छात्र छात्राओं ने पदयात्रा के जरिए शिक्षकों और शाला के जर्जर भवन की हकीकत बयां की है। छात्रों 100 किलोमीटर पैदल चलकर शिक्षकों और शाला के जर्जर भवन के पुनःर्निर्माण की मांग को लेकर जिला मुख्यालय पहुंचे।
छात्रों का कहना है कि कहुआ का स्कूल भवन बरसात में कभी भी गिर सकता है। जिससे हमारी जान को खतरा बना हुआ है। उनका कहना है कि, शासकीय माध्यमिक शाला कहुआ में शिक्षक नहीं होने के कारण हम सब आदिवासी बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो गया है। 50 साल से ज्यादा पुराना कवेलू और कच्ची दीवार वाला जर्जर प्राथमिक शाला भवन भी छात्रों के लिए खतरा बना हुआ है।
नए भवन की व्यवस्था करने और शिक्षकों की व्यवस्था करने की मांग पूरी नहीं होने पर जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर ग्राम कहुआ अमरवाड़ा विकासखंड के बच्चे और उनके अभिभावक गांव से पैदल निकल कर जिला मुख्यालय पहुंचे। उन्होंने बताया कि वे अपने घर से चटनी रोटी लेकर बुधवार को सुबह 10 बजे निकले थे, आज पैदल जिला मुख्यालय पहुंच पाए हैं।
उन्होंने बताया कि विकासखंड अमरवाड़ा के ग्राम महुआ में फिलहाल 132 छात्र छात्राएं पढ़ाई कर रही हैं। भवन केवल और कच्ची दीवार का बना हुआ है। जिसे बने साल से ज्यादा का समय हो चुका है। बिल्डिंग आज जर्जर हालत में है। हर जगह से पानी टपकता है, पूरे भवन में दरारें पड़ गई है। बच्चों को हर तरफ से खतरा नजर आता है। यह भवन बरसात में कभी भी गिर सकता है।
क्लास लगाने के लिये दूसरे भवन की कोई व्यवस्था नहीं है। बारिश में नए व्यवस्था की जानी थी, लेकिन आज तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है। उनकी मांग है कि इस भवन को तत्काल तोड़ कर नए भवन का निर्माण किया जाए और बारिश में क्लास लगाने के लिए दूसरी व्यवस्था जल्द की जाए। साथ ही उन्होंने बताया कि 132 छात्रों पर केवल 2 ही शिक्षक हैं, जिसमें से एक शिक्षक बीएलओ के काम में व्यस्त रहते हैं।
इसके अलावा माध्यमिक शाला कहुवा में कोई भी शिक्षक नहीं है। यहां पर कुल 91 छात्र छात्राएं पढ़ती हैं। अभी शिक्षा सत्र में स्कूल के सभी शिक्षकों के ट्रांसफर कर दिए गए है, एवं वे यहां से रिलीव भी कर दिए गए है, बदले में एक भी शिक्षक की व्यवस्था नहीं की गई है।
रिपोर्ट: अनिल सराठे
लेखक: रोहन मिश्रा