J&K में 5 विधायकों को मनोनीत करने के खिलाफ याचिका पर विशेष पीठ होगी गठित; जानें क्यों डाली गई याचिका?

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जम्मू-कश्मीर: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ताशी राबस्तान ने अगले हफ्ते एक विशेष डिवीजन बेंच गठित करने पर सहमति जताई है. यह बेंच उपराज्यपाल (LG) को जम्मू और कश्मीर विधानसभा में पांच सदस्यों को नामित करने की शक्ति को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई करेगी. यह याचिका जम्मू और कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रविंद्र शर्मा द्वारा दायर की गई है.

यह मामला जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 15, 15A, और 15B से जुड़ा है, जो उपराज्यपाल को पांच सदस्यों को विधानसभा में नामित करने का अधिकार देती है. इस शक्ति को लेकर विपक्षी दलों का कहना है कि इससे विधानसभा की चुनी हुई संरचना में परिवर्तन हो सकता है, खासकर हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों के बाद, जिसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और कांग्रेस के गठबंधन ने स्पष्ट बहुमत हासिल किया है.

क्यों डाली गई सुप्रीम कोर्ट में याचिका?

रविंद्र शर्मा ने इस याचिका को सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया था, लेकिन शीर्ष अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया और उन्हें हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कहा. सुप्रीम कोर्ट में संक्षिप्त सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिकाकर्ता की चिंता को जाहिर करते हुए कहा कि यदि 90 सदस्यीय विधानसभा में LG पांच विधायकों को नामित करते हैं, तो इससे बहुमत का गणित बिगड़ सकता है और चुनी हुई सरकार को कमजोर किया जा सकता है.

हाल ही में हुए चुनावों में नेशनल कॉन्फ्रेंस 42 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, जबकि कांग्रेस ने 6 और CPI(M) ने एक सीट जीती. गठबंधन ने निर्दलीय उम्मीदवारों और आम आदमी पार्टी (AAP) के एकमात्र विधायक का समर्थन हासिल करके 49 सीटों का मजबूत बहुमत प्राप्त किया है. वहीं, बीजेपी ने 29 सीटों पर कब्जा किया, तो महबूबा मुफ्ती की पीडीपी को सिर्फ 3 सीटें मिलीं, और अन्य छोटी पार्टियों ने 10 सीटों पर अपना अधिकार कायम किया.

LG द्वारा विधायकों को नामित करने की शक्ति ने एक राजनीतिक बहस छेड़ दी है, विशेष रूप से तब जब स्थानीय भाजपा नेता ने दावा किया कि LG द्वारा पार्टी के पांच सदस्यों को नामित किया जा सकता है, जिससे विधानसभा में शक्ति संतुलन प्रभावित हो सकता है.