बाल विवाह मामले पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला; जाने 10 जुलाई को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने क्या कहा था?

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सुप्रीम कोर्ट आज (18 अक्टूबर) देश में बाल विवाह से संबंधित याचिका पर अपना फैसला सुनाने जा रहा है. इस याचिका की सुनवाई के बाद 10 जुलाई को कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था. इस मामले में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा था कि केवल बाल विवाह में शामिल लोगों पर केस दर्ज करने से समस्या का समाधान नहीं हो सकता.

बाल विवाह निषेध अधिनियम के पालन पर सवाल

यह याचिका 2017 में सोसाइटी फॉर एनलाइटनमेंट एंड वॉलेंटरी एक्शन द्वारा दायर की गई थी. NGO का आरोप था कि बाल विवाह निषेध अधिनियम का सही ढंग से पालन नहीं हो रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान सरकार की ओर से किए जा रहे जागरूकता अभियानों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर सवाल उठाते हुए कहा कि इन कार्यक्रमों से जमीन पर हालात नहीं बदल रहे हैं.

बाल विवाह के आंकड़े और स्थिति

सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने बताया था कि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और असम जैसे राज्यों में बाल विवाह के मामले अधिक देखे गए हैं. वहीं, दादरा नगर हवेली, मिजोरम और नागालैंड समेत पांच राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बाल विवाह का कोई मामला सामने नहीं आया है. उन्होंने बताया कि 34 में से 29 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने बाल विवाह पर आंकड़े उपलब्ध कराए हैं, और पिछले तीन साल में इसमें सुधार हुआ है.

असम सरकार के प्रयासों की सराहना

असम सरकार ने बाल विवाह के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं. जुलाई 2024 में, असम सरकार ने असम मुस्लिम निकाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को हटाकर अनिवार्य पंजीकरण कानून लागू करने की दिशा में एक बिल को मंजूरी दी. इस प्रयास के चलते 2021-22 और 2023-24 के बीच राज्य में बाल विवाह के मामलों में 81% की कमी आई है, जो कि एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है.