‘चाहता तो भारत के लिए मुश्किल कर सकता था G20 समिट’, निज्जर हत्या मामले पर ट्रूडो की ओर से दिए गए 5 बयान

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भारत और कनाडा के बीच जारी जुबानी जंग अभी भी खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. लेकिन देर से ही सही कनाडा के पीएम ट्रूडो ने इस बात को स्वीकर कर ही लिया है कि उसने भारत पर बगैर किसी ठोस सबूत के आरोप लगाए थे. ट्रूडो का यह कबूलनामा ऐसे वक्त आया है, जब दोनों देशों के बीच तनाव अपने चरम पर है. लेकिन हैरानी की बात यह है कि कनाडा पीएम निज्जर हत्याकांड मामले में जांच आयोग को हर बार एक नया बयान देते हैं. बुधवार (16 अक्टूबर) को एक सरकारी जांच आयोग के सामने एक और बयान दिया कि, “खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ था.”

साथ ही ट्रूडो ने इस बात का दावा भी किया है कि उन्होंने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के आरोप को भारत सरकार से जुड़े होने के बाद सार्वजनिक किया, क्योंकि इस मामले को कूटनीतिक रूप से सुलझाने के लिए पर्दे के पीछे से प्रयास किए गए थे. ट्रूडो ने कहा कि कनाडाई अधिकारियों ने भारत सरकार से सहयोग मांगा था, लेकिन भारतीय अधिकारियों ने इसे खारिज कर दिया था. उन्होंने यह भी कहा कि कनाडाई सरकार यह पता लगाने के लिए भारत की मदद मांग रही है कि कथित हस्तक्षेप और हिंसा किसी दुष्ट तत्व द्वारा की गई थी या सरकार में किसी उच्च पदस्थ व्यक्ति द्वारा निर्देशित थी.

“कनाडा ने भारत को बदनामी से बचाया”- ट्रूडो

जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि अगर कनाडा ने यह आरोप अगस्त 2023 में ही सार्वजनिक कर दिए होते, तो G20 शिखर सम्मेलन में बड़ी असहजता पैदा हो सकती थी। उस समय भारत G20 नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा था। ट्रूडो ने बताया कि उनकी सरकार ने भारत को बदनाम करने से बचने के लिए तब यह आरोप सार्वजनिक नहीं किए थे।

हरदीप निज्जर की हत्या पर जस्टिन ट्रूडो के नए बयान आए सामने

1- जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया कि भारत का मानना ​​है कि कनाडा हिंसा या आतंकवाद या घृणा को बढ़ावा देने को गंभीरता से नहीं लेता है, क्योंकि उन्होंने तीसरे देश के खिलाफ हिंसा और आतंकवाद का समर्थन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई न करने के लिए कनाडा सरकार की बुनियादी जिम्मेदारी का हवाला दिया.

2- एक सवाल के जवाब में ट्रूडो ने कहा कि कनाडा भारत के साथ लड़ाई को भड़काने या बनाने की कोशिश नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि, “भारत सरकार ने यह सोचकर एक भयानक गलती की है कि वे कनाडा की सुरक्षा और संप्रभुता में उतनी ही आक्रामकता से हस्तक्षेप कर सकते हैं, जितनी उन्होंने की, और हमें कनाडा की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जवाब देने की जरूरत है. हम और क्या कदम उठाएंगे, यह समय आने पर तय होगा, लेकिन हर कदम पर हमारी एकमात्र प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि हम सभी कनाडाई लोगों को सुरक्षित रखें.”

3- जब उनसे पूछा गया कि क्या कनाडा भारत के साथ अपने 2018 के खुफिया साझाकरण समझौते को निलंबित करेगा, तो इसपर ट्रूडो ने कहा कि कनाडा की नीति एक भारत के इर्द-गिर्द है. ट्रूडो ने आगे कहा कि, “हम भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता में विश्वास करते हैं. हम इसका सम्मान करते हैं. हम निश्चित रूप से उम्मीद करते हैं कि भारत-कनाडा की संप्रभुता का सम्मान करेगा, जो इस मामले में उन्होंने नहीं किया है.”

4- कनाडाई प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेशी हस्तक्षेप के संभावित स्रोत के रूप में भारत सरकार का मुद्दा ऐसा कुछ नहीं है जो केवल पिछले हफ्तों या पिछले साल में सामने आया हो. उन्होंने आगे कहा कि, “कनाडाई खुफिया एजेंसियां ​​कई वर्षों से यह जानकारी एकत्र कर रही हैं. हम लगातार अन्य राज्यों द्वारा बदलते दृष्टिकोणों के अनुसार खुद को ढाल रहे हैं और समायोजित कर रहे हैं क्योंकि वे कनाडा में अपने उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न तकनीकों, विभिन्न साधनों, विभिन्न वैक्टरों के माध्यम से जुड़ते हैं और हम कनाडाई लोगों को सुरक्षित रखने, हमारे संस्थानों और हमारे लोकतंत्र की रक्षा करने के लिए जो करना चाहिए, उसे करने के लिए आवश्यक रूप से सीखते और समायोजित करते रहेंगे.”

5- ट्रूडो ने दावा किया कि भारतीय राजनयिक उन कनाडाई लोगों के बारे में जानकारी एकत्र कर रहे थे, जो नरेंद्र मोदी सरकार से असहमत हैं और इसे भारत सरकार के भीतर उच्चतम स्तरों और लॉरेंस बिश्नोई गिरोह जैसे आपराधिक संगठनों तक पहुंचा रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया, “मुझे इस तथ्य के बारे में जानकारी दी गई कि कनाडा और संभवतः फाइव आईज सहयोगियों से खुफिया जानकारी मिली है, जिससे यह स्पष्ट रूप से स्पष्ट हो गया है कि भारत इसमें शामिल था… कनाडा की धरती पर एक कनाडाई की हत्या में भारत सरकार के एजेंट शामिल थे.” उन्होंने अंत में कहा कि यह ऐसी चीज है जिसे उनकी सरकार को बेहद गंभीरता से लेना चाहिए.

कनाडा लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल

विदेश मंत्रालय ने गुरुवार (17 अक्टूबर) को कहा कि भारत ने लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के कुछ सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए कनाडा से कुछ अनुरोध साझा किए थे, लेकिन कनाडा अनुरोध के बावजूद कनाडा लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहा. उसने नई दिल्ली की मुख्य चिंताओं पर कोई कार्रवाई नहीं की. साथ ही विदेश मंत्रालय ने कहा “हमारे राजनयिकों के खिलाफ झूठे आरोपों” को भी खारिज किया.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने आज (17 अक्टूबर) कहा, “हमने लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के सदस्यों की गिरफ्तारी के लिए कनाडा के साथ कुछ अनुरोध साझा किए थे. उन्होंने हमारी मुख्य चिंताओं पर कोई कार्रवाई नहीं की. इसके पीछे एक राजनीतिक मकसद भी है.”

इस मामले पर जायसवाल ने कहा कि, “हमने इस विशेष मामले पर अपनी स्थिति बहुत स्पष्ट कर दी है. आपने देखा होगा कि पिछले दो दिनों में हमारी स्थिति को स्पष्ट करने के लिए कई प्रेस विज्ञप्तियां जारी की गई हैं, और हम बहुत स्पष्ट हैं कि सितंबर 2023 से, कनाडा सरकार ने हमारे साथ कोई भी जानकारी साझा नहीं की है. कल, फिर से, सार्वजनिक जांच और फिर से सार्वजनिक सुनवाई के बाद, एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि कनाडा ने गंभीर आरोप लगाए हैं, लेकिन अभी तक इसका समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं दिया है… जहां तक आरोपों का सवाल है, पीएम ट्रूडो ने खुद स्वीकार किया है कि कल उनके आरोपों का मूल्य कम होगा… हम अपने राजनयिकों के खिलाफ झूठे आरोपों को अस्वीकार करते हैं.”