राजसमंद कांकरोली, वैसे तो वल्लभ सम्प्रदाय मंदिरों में साल भर मनोरथ व उत्सव की धूम रहती है मगर इन सबसे अलग फागुन माह में राजसमंद के कांकरोली स्थित वल्लभ सम्प्रदाय की तृतीयपीठ द्वारिकाधीश मंदिर में फागुन माह में प्रभु द्वारिकाधीश अपने भक्तों के संग गुलाल अबीर के साथ होली खेल रहे हैं।
गौरतलब है कि फागुन माह में वैसे तो द्वारिकाधीश के हर रोज नित्य नए स्वरूप में दर्शन होते हैं, मगर फागुन माह में द्वारिकाधीश के दर्शनों का अलग ही महत्व है जिसमे रसिया गान ओर राल दर्शन महत्वपूर्ण है। राल दर्शन द्वारिकाधीश के शयन के समय खुलते हैं जिनके दर्शन करने शहर सहित वैष्णवजन की भीड़ उमड़ती है और फिर इसके साथ ही राल दर्शन भी बंद हो जाते हैं।
राल दर्शन का है वैज्ञानिक लाभ
वैसे तो वल्लभ सम्प्रदाय हर मंदिर में मनोरथ व दर्शन का मौसम के हिसाब से महत्व है मगर द्वारिकाधीश प्रभु के राल दर्शन का मान्यता अनुसार आज के हिसाब से वैज्ञानिक लाभ भी है। राल उड़ाने का महत्व इसलिए बढ़ जाता है कि ठाकुरजी के बसन्त पंचमी से सर्दी का मौसम समाप्त होता है और गर्मी का मौसम शुरू होता है इस बीच मौसम परिवर्तन होने से कई बीमारियों के कीटाणु वायुमंडल में फैल जाते है इनको दूर करने के राल उड़ाई जाती है वायुमंडल को शुद्ध किया जाता है ।
कैसे होता है राल दर्शन
ठाकुरजी के राल दर्शन में दो बॉस के ऊपर कपड़े लपेटकर उस पर घी डालकर जलाया जाता है उसके बाद पंच तत्वों का मिश्रण जिसमे गुलाल अबीर कपूर जो ज्वलनशील राल को मंदिर पीठाधीश्वर द्वारा पाँच बार जलते हुए आग पर फेक दिया जाता हैं । मिश्रण के आग के संपर्क में आते ही आग का ज्वाला निकलता है जो दर्शन करने वालो को रोमांचित कर देता हैं।