शेयर बाजार में हाहाकार क्यों? निफ्टी और सेंसेक्स में गिरावट के पीछे कहीं ये तो नहीं है वजह!…

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भारतीय शेयर बाजार के लिए मंगलवार (22 अक्टूबर) का दिन बेहद ही अमंगल रहा, तो वहीं विदेशी निवेशकों द्वारा लगातार बिकवाली और कमजोर वैश्विक संकेतों के चलते बाजार में जबरदस्त गिरावट देखी गई. बीएसई सेंसेक्स 930 अंकों की गिरावट के साथ 80,220 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 310 अंकों की गिरावट के साथ 24,472 के स्तर पर क्लोज हुआ. यही कारण है कि इस भारी गिरावट के कारण निवेशकों के लगभग 8.50 लाख करोड़ रुपये साफ हो गए।. मीडिया में जारी कुछ रिपोर्ट की मानें, तो पिछले दो कारोबारी सत्रों में निवेशकों को 14 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है.

चलिए जानते हैं भारतीय शेयर बाजार में हाहाकार और गिरावट के मुख्य कारणों के बारे में…

  1. अमेरिकी मंदी की आशंका
    संयुक्त राज्य अमेरिका में संभावित मंदी के डर ने वैश्विक निवेशकों को सतर्क कर दिया है. अमेरिकी आर्थिक संकेतक धीमी वृद्धि की ओर इशारा कर रहे हैं, जिससे भारतीय बाजार भी प्रभावित हो रहा है. निवेशक जोखिम वाले परिसंपत्तियों को छोड़कर सुरक्षित संपत्तियों की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे बिकवाली का दबाव बढ़ गया है.
  2. भू-राजनीतिक तनाव
    मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव ने वैश्विक बाजारों में अस्थिरता पैदा कर दी है. इससे भारतीय निवेशकों में भी चिंता बढ़ी है, क्योंकि क्षेत्रीय संघर्ष के कारण आर्थिक व्यवधानों की संभावना बढ़ जाती है.
  3. कमजोर कॉर्पोरिट आय
    हालिया आय सत्र में कई भारतीय कंपनियों ने उम्मीद से कमजोर प्रदर्शन किया है. यह निवेशकों के बीच निराशा का कारण बना, जिससे बाजार में बिकवाली बढ़ी और भारतीय शेयर बाजार में हाहाकार मच गया.
  4. ओवरवैल्यूएशन की चिंता
    विशेषज्ञों ने कई भारतीय कंपनियों के शेयरों को ओवरवैल्यूड करार दिया है. निवेशक इस उच्च मूल्यांकन (Evaluation) पर अपने मुनाफे को बुक करने की ओर ध्यान दे रहे हैं, जिससे शेयर बाजार में गिरावट का सिलसिला जारी है.
  5. मुनाफा बुकिंग
    शेयर बाजार में लंबी रैली के बाद, कई निवेशक मुनाफा बुक कर रहे हैं. इसका नतीजा यह हुआ कि बाजार में बिकवाली तेज हो गई, जिससे सेंसेक्स और निफ्टी में भारी गिरावट देखी गई.
  6. विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली
    विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) भारतीय बाजार से लगातार पैसे निकाल रहे हैं. ग्लोबल अनिश्चितताओं के चलते उन्होंने भारतीय शेयरों से भारी मात्रा में निकासी की है, जो बाजार में गिरावट का मुख्य कारण बना.
  7. विनियामक परिवर्तन
    भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा डेरिवेटिव ट्रेडिंग में लाए गए नए नियमों ने बाजार की धारणा को कमजोर कर दिया है. इन परिवर्तनों से ट्रेडिंग लागत में वृद्धि और तरलता में कमी की चिंताएं बढ़ गई हैं.
  8. कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि
    कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि ने आयात-निर्भर भारतीय अर्थव्यवस्था पर अतिरिक्त दबाव डाला है. ऊर्जा क्षेत्र पर इसके प्रभाव से निवेशकों की धारणा पर नकारात्मक असर पड़ा है.
  9. अमेरिकी आर्थिक डेटा
    अमेरिका से आने वाले आर्थिक आंकड़े जैसे मुद्रास्फीति और रोजगार डेटा भी निवेशकों के बीच अस्थिरता का कारण बने हुए हैं. इससे अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नीतिगत फैसलों पर अनिश्चितता बढ़ रही है, जिसका असर वैश्विक और भारतीय बाजारों पर पड़ा है.

इन प्रमुख कंपनियों के स्टॉक्स पर दिखा भारी असर

सेंसेक्स के 30 में से 29 शेयर गिरकर बंद हुए, जिनमें से महिंद्रा एंड महिंद्रा, कोल इंडिया, और अडानी एंटरप्राइजेज जैसे प्रमुख शेयरों में भारी गिरावट देखी गई. वहीं निफ्टी के 50 में से केवल 3 शेयर ही तेजी के साथ बंद हुए, जिसमें आईसीआईसीआई बैंक, नेस्ले और इंफोसिस प्रमुख रहे.

निवेशकों के लिए सलाह

निवेशकों को इस समय सतर्कता बरतने की आवश्यकता है. बाजार में अस्थिरता जारी रहने की संभावना है, इसलिए दीर्घकालिक लाभ के लिए निवेशकों को मौजूदा परिस्थितियों का गहन विश्लेषण करने की सलाह दी जाती है. बाजार में सुधार के दौरान नए अवसरों की तलाश की जा सकती है, लेकिन जल्दबाजी में निर्णय लेने से बचना चाहिए.