क्या है भारत में गणतंत्र दिवस का पूरा इतिहास, जिससे आप भी हो सकते है बेखबर

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नई दिल्ली/डेस्क: भारत आज 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. इस मौके पर दिल्‍ली के कर्तव्‍यपथ पर खास कार्यक्रम होगा. जो करीब 90 मिनट का है. इस बार ये समारोह कई मायनों में खास माना जा रहा है. देश भर में गणतंत्र दिवस को उत्साह से मनाया जाता है. इस दिन के इतिहास और जरूरी बातों से कई नागरिक अनजान हैं.

क्या है गणतंत्र दिवस का इतिहास ?

गणतंत्र दिवस 26 जनवरी, 1950 को भारत के संविधान को अपनाने की याद दिलाता है. भारत को 1947 में ब्रिटिश राज से आजादी मिली, लेकिन 26 जनवरी, 1950 तक भारत का संविधान लागू नहीं हुआ था. संविधान सभा का पहला सत्र 9 दिसंबर, 1946 को और आखिरी सत्र 26 नवंबर, 1949 को हुआ और फिर एक साल बाद संविधान को अपनाया गया. डॉ. बीआर अंबेडकर ने संविधान की मसौदा समिति का नेतृत्व किया और इस दिन भारत संविधान दिवस भी मनाता है.

भारतीय संविधान की कॉपी आज भी संसद भवन की लाइब्रेरी में सुरक्षित रखी गई है. भारतीय संविधान को दुनिया का सबसे बड़ा हाथ से लिखा गया संविधान कहा जाता है.

देश में तिरंगा फहराने की वजह ?

जब हमारे देश को 15 अगस्त 1947 आजादी मिली थी तो उस समय प्रधानमंत्री ही देश के मुखिया थे. इसी वजह से आजादी मिलने पर स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले से ध्वजारोहण किया था. आजादी के बाद जब 26 जनवरी 1950 को देश का संविधान लागू किया गया, तो राष्ट्रपति की शपथ ले ले चुके डॉ. राजेंद्र प्रसाद देश के संवैधानिक प्रमुख थे. 

ऐसे में उन्होंने गणतंत्र दिवस के मौके पर झंडा फहराया था. डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ झंडा फहराया और भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया था. तब से लेकर आज तक यह परंपरा चली आ रही है. स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं और गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं. हर साल विदेशों से गणतंत्र दिवस पर विशेष मेहमानों को बुलाया जाता है.

लेखक: इमरान अंसारी