उत्तर प्रदेश: भाद्रपद की अमावस्या के अवसर पर लाखों की तादाद में श्रद्धालु धर्म नगरी चित्रकूट पहुंचे हैं, जहां श्रद्धालुओं ने मां मंदाकिनी नदी में आस्था की डुबकी लगा भगवान कामदगिरि की पूजा अर्चना कर परिक्रमा लगाई है.
आपको बता दें कि भाद्रपद की अमावस्या के दिन सनातन धर्म में पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए अमावस्या का दिन श्राद्ध कर्म करने के लिए उपयुक्त माना जाता है, साथ ही इस दिन स्नान-दान और पूजा-पाठ इत्यादि कर्म करने से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है. भाद्रपद अमावस्या को पिठोरी अमावस्या और कुशग्रहणी अमावस्या भी कहा जाता है. भाद्रपद की अमावस्या से ही लोग साल भर होने वाले शुभ कार्यों के लिए कुश को आज ही के दिन जल में भिगोकर उसे रख लेते है और शुभ कार्य में उसका इस्तेमाल करते है.
भाद्रपद अमावस्या के कुछ समय बाद ही पितृ पक्ष की शुरुआत हो जाती है. अमावस्या तिथि को भी श्राद्ध कर्म करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है, इसलिए इस अमावस्या का महत्व और भी बढ़ जाता है, साथ ही इस दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से शुभ फलों की प्रप्ति होती है.
इससे भगवान के साथ-साथ पितृ भी प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद देते हैं. भाद्रपद की अमावस्या का चित्रकूट में कुछ विशेष ही महत्व है, क्योंकि यहां भगवान श्री राम ने अपने वनवास के साढ़े 11 वर्ष बिताए थे और गोस्वामी तुलसीदास जी को भी भगवान श्री राम ने चित्रकूट में ही दर्शन दिए थे, इसलिए भगवान श्री राम के निशानिया को देखने के लिए और उनके दर्शन के लिए बड़ी तादाद में श्रद्धालु धर्म नगरी चित्रकूट पहुंचते हैं और मां मंदाकिनी नदी में आस्था की डुबकी लगा भगवान कामदगिरि की पूजा अर्चना कर परिक्रमा लगाते हैं.
लेखक: इमरान अंसारी