भारत में पहला तेल का कुआं कहां खोदा गया था?

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तेल पहली बार 19वीं सदी की शुरुआत में कोयले से निकाला गया था, लेकिन 1859 में एक दिन, एक साधारण अमेरिकी गांव में एक खोज ने दुनिया बदल दी। इलिनोइस राज्य के एक छोटे से गांव टैल्कोला के एक किसान को काम के दौरान खोदी गई गहरी खाई में एक अजीब चीज दिखी। जिसके बाद दुनिया का पहला तेल कुआँ खोदा गया।

तेल की खोज के साथ आया इंडस्ट्रियल रेवोलुशन (Industrial Revolution)

पेट्रोलियम के साथ ही औद्योगिक क्रांति आई और लोगों की आय बढ़ने लगी। इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में बड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिला. पेट्रोलियम की इस अद्भुत खोज के साथ ही दुनिया के अन्य क्षेत्रों में भी पेट्रोलियम की खोज का काम शुरू हो गया। धीरे-धीरे, पेट्रोलियम ने दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को गहराई से बदल दिया और आज भी हमारे जीवन को बेहतर बनाने में मदद कर रहा है।

असम की डिगबोई बानी ऑयल सिटी (Oil City)

इसके फलस्वरूप भारत में भी पेट्रोलियम का खनन कार्य प्रारम्भ हो गया। हालांकि भारत अभी भी तेल आयात के लिए दूसरे देशों पर निर्भर है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के पास अपने तेल के कुएं भी हैं। पहला तेल कुआँ 1866 में असम के डिगबोई में खोजा गया था।

डिगबोई को असम के तेल शहर के रूप में भी जाना जाता है, जहां एशिया में पहला तेल कुआं खोदा गया था।

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOC) ने 1981 में असम ऑयल कंपनी लिमिटेड की रिफाइनरी और मार्केटिंग प्रबंधन को अपने हाथ में लेकर एक अलग डिवीजन का गठन किया। डिगबोई की रिफाइनरी की स्थापित क्षमता 0.50 मिलियन टन प्रति वर्ष थी। भारत का सबसे पुराना तेल क्षेत्र डिगबोई, असम है।

तेल आज भी है दुनिया के लिए महत्वपूर्ण

आज पेट्रोलियम उत्पादों का उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जा रहा है। ये उद्योग वाहनों से लेकर ऊर्जा उत्पादन तक उद्योगों की एक विस्तृत श्रृंखला को संभालते हैं। भारत को आत्मनिर्भर बनाने में पेट्रोलियम ने भी अहम भूमिका निभाई है।

इस खोज के बाद से हमारे जीवन का एक नया पन्ना खुल गया है. विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इस प्रगतिशील युग में पेट्रोलियम उत्पादों का उपयोग हमारे जीवन को आसान और सुविधाजनक बनाने में मदद कर रहा है। पेट्रोलियम की खोज ने हमारे जीवन को एक नई दिशा दी है, जो विकास और समृद्धि के पथ पर अग्रसर है।

रिपोर्ट: करन शर्मा