100 Years Devananad: देवानंद फिल्मी दुनिया का वह नाम है जिन्हें अपने काम के लिए जाना जाता है. सदाबहार हीरो के तौर पर सबसे पहले उनका नाम लिया जाता है. देवानंद अपने समय के वह एक्टर थे जिनके फैन न सिर्फ भारत में बल्कि नेपाल और पाकिस्तान में भी थे. 26 सितंबर 1923 को जन्में देवानंद आज जिंदा होते तो वे 100 साल के होते.
हिंदी सिनेमा में देवानंद ने अपना खूब योगदान दिया, उन्हीं की बदौलत लोग हिंदी सिनेमा से जुड़ने लगे. भारतीय सिनेमा में उन्हें आनंद के नाम से भी जाना गया. वे एक अभिनेता, लेखक, निर्देशक और निर्माता थे. आज उनकी 100वीं बर्थ एनीवर्सरी है, इसी मौके पर जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ खास किस्से.
फिल्मी करिअर में दी 100 से अधिक फिल्में
देवानंद ने अपने करिअर में 100 से अधिक फिल्मों में काम किया. साल 1948 में आई ‘जिद्दी’ उनकी पहली सुपरहिट फिल्म रही. इसके बाद उन्होंने टैक्सी ड्राइवर, गाइड, इंसानियत, मुनीम जी, सीआईडी, कालाबाजार, काला पानी, हम दोनों, असली-नकली सहित कई फिल्में की.
दोस्त बनाना था पसंद
देवानंद बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, दोस्त बनाना उन्हें बेहद पसंद था. उनका फिल्मों में काम करने का अंदाज बिल्कुल अलग था, बाकी सितारों से अलग इसलिए भी जाने जाते हैं क्योंकि वे एक बार में अपना डायलॉग बोल देते थे, उनकी यही खूबी सबसे अलग थी.
65 रूपये महीनें में किया काम
बीए पास करने के बाद देवानंद ने अपना करियर चर्चगेट स्थित सैन्य सेंसर कार्यालय में शुरू किया, जिसके लिए उन्हें 65 रुपये का मासिक वेतन मिलता था. इसके बाद उन्होंने 85 रुपये के वेतन पर एक अकाउंटिंग फर्म में क्लर्क के रूप में भी काम किया। इसके बाद अचानक उनकी इच्छा फिल्मों में काम करने की हुई. साल 1946 में उन्होंने ‘हम एक हैं’ फिल्म में पहली बार मुख्य भूमिका में काम किया. इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक कई फिल्में की.