3500 सेक्स वर्कर… “हम ये काम छोड़ना चाहते हैं”, सरकार से सेक्स वर्करों की गुहार

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नई दिल्ली/डेस्क: लोकसभा चुनाव देश का सबसे बड़ा पर्व है, ऐसे में मुंबई के कमाठीपुरा इलाका में रहने वाली सेक्स वर्करों ने लोकसभा चुनाव को लेकर सरकार से उम्मीद जताई है, बता दें कि यहां लगभग 3500 सेक्स वर्कर है, जिसमें लगभग 1200 सेक्स वर्कर के पास मौजूदा समय में वोटर कार्ड है. यह इलाका मुंबई का रेड लाइट एरिया है.

यहां ऐसी महिलाएं रहती हैं, जो सेक्सवर्क का काम करती हैं. सेक्स वर्क का काम करने वाली यहां की महिलाओं की जिंदगी खराब हालात से होकर गुजरती है.

सेक्स वर्करों की सरकार से गुहार

हालांकि, नेता इन महिलाओं को भूल चुके हैं, लेकिन ये महिलाएं भी इसी देश की नागरिक हैं. उनके भी अधिकार हैं और वोट भी. तो इस चुनाव से इन महिलाओं की क्या उम्मीदें हैं? अगले पांच वर्षों में वे क्या बदलाव की उम्मीद करते हैं? ये जानने के लिए हम सीधे कमाठीपुर पहुंचे और इन महिलाओं से बातचीत की. न्यूज़ इंडिया से बात करते हुए कमाठीपुर में वेश्यावृत्ति में शामिल महिलाओं ने कहा, “हम पिछले बीस सालों से इस इलाके में रह रहे हैं.

शुरुआत में हमारे पास अपना पहचान पत्र नहीं था. इसलिए हम वोट नहीं कर सके. लेकिन, देर-सवेर बाद में, हमें अपना पहचान पत्र भी मिल गया है. हम टीवी पर नेताओं को घर-घर जाकर प्रचार करते देखते हैं.

“भले ही हम वेश्याएं हैं, लेकिन इस समाज का हिस्सा है”

एक अन्य महिला ने कहा, “भले ही हम वेश्याएं हैं, हम इस समाज का हिस्सा हैं. हमारा भी एक परिवार है. लेकिन अब महंगाई इतनी बढ़ गई है कि हम परिवार नहीं चला सकते. हर चीज की कीमत बढ़ गई है. एक सिलेंडर ही है, जो आपको मिलता है. उसी कीमत पर हमारी उतनी आय नहीं होती है. इसलिए हम हर चुनाव में वोट करते हैं. हालांकि, हम उम्मीद करते हैं कि सरकार महंगाई कम करेगी.

धंधे से बाहर निकलना चाहती है सेक्स वर्कर

इसी इलाके में काम करने वाली एक अन्य महिला ने कहा, “हम पिछले 20 सालों से इस इलाके में रह रहे हैं. हम भी इस धंधे से बाहर निकलना चाहते हैं. हालांकि, हमारे पास कोई काम नहीं है. हम कहां से आएं? हम क्या करें” जब लोगों को इसके बारे में पता चलता है, तो हमारे साथ अक्सर बुरा व्यवहार किया जाता है, इसलिए सरकार को हमारे लिए कुछ करना चाहिए.

क्योंकि हम यह काम कर रहे हैं, हमारा मालिक हमें झुग्गी में रहने के लिए एक घर देता है, ताकि हमें अपनी छत मिल सके. सरकार को हमें एक सस्ता घर उपलब्ध कराना चाहिए, जिसे हम खरीद सकें.

बांग्लादेश और श्रीलंका से आती है ये महिलाएं

इस धंधे में अक्सर महिलाएं बांग्लादेश और श्रीलंका से आती हैं. इसलिए प्रशासन को उनके पहचान पत्र और अन्य दस्तावेजों की जांच करने जैसे कई काम करने पड़ते हैं. कई सामाजिक संगठन इसमें प्रशासन की मदद करते हैं. इन महिलाओं और प्रशासन के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए ‘अपने आप’ संस्था 1998 से काम कर रही है. जब हमने इस संगठन की पदाधिकारी पूनम अवस्थी से बात की तो उन्होंने कहा, ”जब ये महिलाएं यहां आती हैं, तो उनके पास कोई दस्तावेज नहीं होता है. इसलिए हमें सारी जानकारी लेनी होगी कि वे कहां से आई हैं? क्या करें?” इसमें काफी समय लगता है.

हर साल नगर पालिका दो कैंप आयोजित करती है और इसके माध्यम से बांग्लादेश से आने वाली महिलाओं के दस्तावेजों की जांच में एक साल लग जाता है. इसलिए सरकार को उन्हें कौशल प्रदान कर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने चाहिए विकास कार्यक्रम. यह हमारी मांग है.

लेखक: शुभम पांडेय

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