53 Drugs Fail Quality Test: सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने अपनी लेटेस्ट रिपोर्ट में पेरासिटामोल, विटामिन डी और कैल्शियम सप्लीमेंट्स समेत 53 दवाओं को क्वालिटी चेक में फेल घोषित किया है। इस रिपोर्ट में कई ऐसी दवाइयां हैं जो लोग अक्सर इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनके उपयोग के संबंध में सुरक्षा चिंताएं बढ़ गई हैं।
पेरासिटामोल क्वालिटी चेक में फेल
केंद्रीय दवा नियामक, CDSCO ने अपनी अगस्त 2024 की रिपोर्ट में 53 दवाइयों को NSQ (मानक गुणवत्ता के नहीं – नॉट औफ स्टैंर्ड क्वालिटी) घोषित किया है। इस रिपोर्ट में पेरासिटामोल, विटामिन डी और कैल्शियम की खुराक, उच्च रक्तचाप की दवाएं और कुछ मधुमेह विरोधी गोली जैसी दवाएं शामिल हैं। केवल यही नहीं गुणवत्ता जांच में विफल रहने वाली दवाओं में विटामिन सी और डी3 टैबलेट, शेल्कल, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, विटामिन सी सॉफ़्टजैल, एंटी-एसिड पैन-डी, पेरासिटामोल टैबलेट (आईपी 500 मिलीग्राम), मधुमेह विरोधी दवा ग्लिमेपाइराइड और उच्च रक्तचाप दवा टेल्मिसर्टन भी शामिल हैं।
कौन-कौन सी कंपनियां इसमें शामिल?
इन उत्पादों का निर्माण कई कंपनियों द्वारा किया गया था, जिनमें हेटेरो ड्रग्स, अल्केम लेबोरेटरीज, हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड (HAL), कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड, प्योर एंड क्योर हेल्थकेयर और मेग लाइफसाइंसेज शामिल हैं।
बता दें कि HAL द्वारा उत्पादित पेट के संक्रमण के लिए आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवा मेट्रोनिडाजोल भी गुणवत्ता परीक्षण में विफल रही। इसी तरह, लोकप्रिय कैल्शियम और विटामिन डी3 सप्लीमेंट शेल्कल को NSQ अलर्ट श्रेणी में शामिल किया गया है। कर्नाटक एंटीबायोटिक्स एंड फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड की पेरासिटामोल टैबलेट को भी गुणवत्ता संबंधी चिंताओं के लिए चिह्नित किया गया है।
कंपनियों ने दी सफाई
CDSCO ने दो रिपोर्ट जारी की हैं। पहली रिपोर्ट में 48 दवाएं हैं जो गुणवत्ता परीक्षण में विफल रहीं। वहीं, दूसरी रिपोर्ट में 5 दवाएं NSG अलर्ट श्रेणी में हैं, जिनके निर्माताओं की प्रतिक्रिया भी साथ में हैं। प्रतिक्रिया में उन्होंने दावा किया कि रिपोर्ट में बताए गए बैच उनके द्वारा निर्मित नहीं किए गए थे और यह उत्पाद नकली हो सकते हैं। कंपनियों ने यह भी कहा कि वे इस मामले में जांच के नतीजों का इंतजार कर रही हैं।
क्वालिटी चेक क्यों जरूरी?
गुणवत्ता मानक में विफल दवाएं मरीजों के स्वास्थ्य के लिए संभावित जीवनवादी खतरा बना सकती हैं। यदि बाजार में नकली दवाएं उपलब्ध हो रही हैं, तो इसका असर सिर्फ इलाज पर ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं पर भी बड़े सवाल उठाता है। CDSCO द्वारा शुरू की जा रही जांच इस समस्या की महत्वकांक्षा को प्रकट करती है और भविष्य में दवा उद्योग की सख्त निगरानी की जरूरत को बढ़ाती है।
– दुर्गा रावत