6 या 7 सितंबर, जानें इस बार कब मनाई जाएगी जन्माष्टमी?

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नई दिल्ली/डेस्क: इस साल 2023 में जन्माष्टमी कब पड़ने वाली है? इसे लेकर लोगों के मन में बहुत से सवाल खड़े हो रहे हैं।जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रुप में मनाया जाता है। ऐसे में काफी लोग सवाल कर रहे हैं कि जन्माष्टमी 6 सितंबर को है या 7 सितंबर को।इसके पहले रक्षाबंधन को भी लेकर लोगों के मन में बहुत कंफ्यूजन था।

कई जगह लोगों ने 30 अगस्त को तो कई जगह लोगों ने 31 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया। हिंदू धर्म में अक्सर किसी त्योहार को लेकर अलग-अलग मत खड़े हो जाते हैं, कि इसकी सही तारीख क्या है।

अंग्रेजी कैलेंडर और भारतीय पंचांग

ऐसा क्यों होता है ये जानने के लिए सबसे पहले हिंदी पंचांग को समझना जरुरी है। क्योंकि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार रात 12 बजे के बाद ही तारीख बदल जाती है। ये घड़ी की सुई और पृथ्वी के चाल पर निर्भर होता है। जबकि वहीं भारतीय पंचांग में तिथि की गणना सभी ग्रहों की चाल और दशा पर निर्भर होता है।इसमें ना तो सूर्योदय के साथ तिथी शुरु होती है और ना ही सूर्यास्त के साथ समाप्त होती है। सूर्य, पृथ्वी, चंद्रमा, बुध, गुरु, शुक्र, शनि जैसे सभी ग्रहों की चाल की गणना के हिसाब से तिथी निर्धारित होती है।

अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से एक दिन 24 घंटे का होता है। जबकि भारतीय पंचांग के अनुसार कोई तिथी 24 घंटे से अधिक या कम की भी हो सकती है। पंचांग की तिथी रात को भी शुरु हो सकती है या दिन में भी या शाम के वक्त भी। जैसे कोई तिथी अगर आज शाम के 4 बजे शुरु होती है तो कल सुबह तक या कल शाम तक उसकी अवधि हो रहेगी। जो 20 घंटे या 24 घंटे या 26 घंटे की भी हो सकती है। ये सभी ग्रहों की चाल पर निर्भर करता है।

इसीलिए कोई तिथी अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से दो दिनों तक रहती है और इसी वजह से लोगों में कन्फ्यूजन हो जाता है कि सही तारीख कौन सी है और किस दिन हम अपना त्योहार मनाएं।

तिथि और मुहूर्त का भी रखते हैं ध्यान

ऐसे में ये जानना भी जरुरी है कि त्योहार के लिए सिर्फ तिथी ही मायने नहीं रखता बल्कि मुहूर्त का भी विशेष ध्यान रखा जाता है। अगर सही तिथी में मुहूर्त अशुभ हो तो ऐसी अवस्था में त्योहार नहीं मनाया जाता। उसके लिए शुभ मुहूर्त क्या है इसकी जानकारी अपने कुलपुरोहित से लेकर उनकी परामर्श के अनुसार आप अपने त्योहार को मना सकते हैं। फिलहाल सवाल ये है कि जन्माष्टमी कब मनाएं।

क्योंकि कई जगहों पर लोग 6 सितंबर को जन्माष्टमी बता रहे हैं तो वहीं कई जगहों पर लोग 7 सितंबर को इसकी सही तारीख मान रहे हैं। आपको बता दें कि दोनो ही दिन अष्टमी है।

कब है जन्माष्टमी?

दरअसल 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 40 मिनट पर अष्टमी शुरु हो रही है। और ये अगले दिन यानि 7 सितंबर को शाम 4 बज कर 16 मिनट पर समाप्त होगी। अगर अष्टमी के पहले तिथि में ही आधी रात पड़े तो जन्माष्टमी का व्रत पहले दिन ही किया जाता है।और अगर अष्टमी के दूसरे दिन में आधी रात पड़े तो इसका व्रत दूसरे दिन किया जाता है। लेकिन इसके साथ ही हमें रोहिणी नक्षत्र का भी ध्यान रखना होता है। जिस दिन रोहिणी नक्षत्र हो तो हमे उसी दिन जन्माष्टमी का त्योहार मनानी चाहिए.

वहीं अगर दोनों ही दिन आधी रात को रोहिणी नक्षत्र हो या दोनों ही दिन आधी रात को रोहिणी नक्षत्र नहीं हो तो भी हमें जन्माष्टमी का व्रत दूसरे दिन ही करना चाहिए।

जन्माष्टमी में पूजा का मुहूर्त

इस बार रोहिणी नक्षत्र के हिसाब से हमें 7 सितंबर को जन्माष्टमी का व्रत रखना चाहिए।मध्यरात्रि में पूजा का मुहूर्त 7 सितंबर रात 11 बज कर 56 मिनट से रात 12 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। यानि कुल 45 मिनट तक। इसके अलावा पारणा करने का मुहूर्त 8 सितंबर को सुबह 6 बजे के बाद है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि यह केवल स्मार्त संप्रदाय के लोगों के लिए है। वैष्णव संप्रदाय के लोग इसके अगले दिन जन्माष्टमी मनाएंगे।

नोट- न्यूज इंडिया किसी भी प्रकार के तथ्यों की पूष्टी नहीं करता। आप अपने कुलपूरोहित या किसी विद्वान पंडीत के सलाह पर ही पूजा अर्पण करें।

लेखक:बिट्टू वर्मा