Mathura Holi: गोकुल में संतों और श्रद्धालुओं ने खेली होली, 40 दिनों तक चलने वाली होली के क्या है मायने?

Published
भगवान के घर में संतों की होली

Mathura Holi: मथुरा के गोकुल में संतों और श्रद्धालुओं ने जमकर होली खेली। वैसे तो मथुरा में होली की शुरुआत बसंत पंचमी के दिन से ही हो जाती है। क्योंकि मथुरा, बृज,वृंदावन, बरसाना, नंदगांव, गोवर्धन में 40 दिनों तक होली खेली जाती है। ऐसी मान्यता है कि पर बसंत पंचमी की दिन से ही मंदिरों में ठाकुर जी गुलाल से होली खेलते हैं।

26 जनवरी को बसंत पंचमी के दिन से ही बांके बिहारी मंदिर सहित सभी मंदिरों मे गुलाल ठाकुर जी को लगाया गया था इसके बाद भगवान कृष्ण की क्रीड़ा स्थली गोकुल के रमन रेती गुरु शरणानंद महाराज के आश्रम में टेसु के फूलों से रंग बनाकर होली खेली गई थी। वहीं, बृज में होली की बात करें तो 3 मार्च रंगभरी एकादशी को ब्रज में रंगों की होली शुरू होगी।

ब्रज में होली महोत्सव कार्यक्रम

  • 27 फरवरी को बरसाना के राधा रानी मंदिर में लड्डू मार होली
  • 28 फरवरी को बरसाना में लठ्ठमार होली1 मार्च को नंद गांव में लठ्ठमार होली
  • 3 मार्च को श्रीकृष्ण जन्म स्थान मंदिर परिसर में लठमार होली शहर की द्वारकाधीश मंदिर और बांके बिहारी मंदिर में रंगों की होली
  • 4 मार्च को गोकुल में छड़ीमार होली
  • 7 मार्च को होलिका दहन फालेन गांव की होली
  • 7 मार्च को प्राचीन परंपरा चतुर्वेदी समाज का डोला
  • 8 मार्च को देशभर में होली खेली जाएगी
  • 9 मार्च को ब्रज के राजा दाऊजी में हुरंगा
  • 15 मार्च को श्री रंग जी मंदिर में होली