PM मोदी ने पंडित मदन मोहन मालवीय के संकलित कार्यों के 11 खंडों की पहली श्रृंखला जारी की

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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (25 दिसंबर) को राष्ट्रीय राजधानी के विज्ञान भवन में पंडित मदन मोहन मालवीय की 162वीं जयंती के अवसर पर ‘कलेक्टेड वर्क्स ऑफ पंडित मदन मोहन मालवीय’ की 11 खंडों की पहली श्रृंखला का विमोचन किया। इस दौरान पीएम मोदी को पंडित मदन मोहन मालवीय की पेंटिंग देकर सम्मानित किया गया।

क्या है ‘कलेक्टेड वर्क्स ऑफ पंडित मदन मोहन मालवीय’?

बता दें कि अमृत काल में, राष्ट्र की सेवा में महान योगदान देने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को उचित मान्यता प्रदान करना प्रधान मंत्री का दृष्टिकोण रहा है। एक सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार, ‘पंडित मदन मोहन मालवीय के संग्रहित कार्य’ भी इसी दिशा में एक प्रयास है।

मालयव के लेख और भाषणों का संग्रह

लगभग 4,000 पृष्ठों में फैली 11 खंडों में द्विभाषी (अंग्रेजी और हिंदी) कृति, देश के हर कोने से एकत्र किए गए पंडित मदन मोहन मालवीय के लेखों और भाषणों का संग्रह है।

विज्ञप्ति के अनुसार, इन खंडों में ज्ञापन सहित उनके अप्रकाशित पत्र, लेख और भाषण शामिल हैं। 1907 में उनके द्वारा प्रारंभ किये गये हिन्दी साप्ताहिक ‘अभ्युदय’ की संपादकीय सामग्री समय-समय पर उनके द्वारा लिखे गए लेख, पैम्फलेट और पुस्तिकाएं सामिल हैं।

साथ ही 1903 और 1910 के बीच आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत की विधान परिषद में दिए गए सभी भाषण और रॉयल कमीशन के समक्ष दिए गए बयान, 1910 और 1920 के बीच इंपीरियल विधान परिषद में बिलों की प्रस्तुति के दौरान दिए गए भाषण, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना से पहले और बाद में लिखे गए पत्र, लेख और भाषण साथ ही 1923 और 1925 के बीच उनके द्वारा लिखी गई एक डायरी भी है।

पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा लिखित और बोले गए दस्तावेजों पर शोध और संकलन का कार्य महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के आदर्शों और मूल्यों के प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित संस्था महामना मालवीय मिशन द्वारा किया गया था।

प्रख्यात पत्रकार राम बहादुर राय के नेतृत्व में मिशन की एक समर्पित टीम ने भाषा और पाठ में बदलाव किए बिना पंडित मदन मोहन मालवीय के मूल साहित्य पर काम किया है। इन पुस्तकों का प्रकाशन सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन प्रकाशन विभाग द्वारा किया गया है।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के यशस्वी संस्थापक मदन मोहन मालवीय आधुनिक भारत के निर्माताओं में अग्रणी स्थान रखते हैं। उन्हें एक उत्कृष्ट विद्वान और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने लोगों में राष्ट्रीय चेतना जगाने के लिए काफी काम किया।