नई दिल्ली/डेस्क: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) चांद -सूरज की गुत्थियां सुलझाने के बाद अपने नए मिशन पर लग गया है. 1 जनवरी 2024 की सुबह करीब 9 बजे ISRO इतिहास रचने जा रहा है. साल के पहले ही दिन श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से XPoSAT सैटेलाइट की लॉन्चिंग होगी. यह सैटेलाइट अंतरिक्ष में होने वाले रेडिएशन की स्टडी करेगा.
यह भारत का पहला पोलारिमीटर मिशन होगा. इससे पहले 2021 में नासा ने इमेजिंग एक्स-रे पोलारिमेट्री एक्सप्लोरर (IXPE) लॉन्च किया था. उस मिशन के बाद यह दुनिया का दूसरा ऐसा मिशन है. इस मिशन पर सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर की नजरें टिकी हुई हैं.
ISRO की नई लॉन्चिंग का लक्ष्य?
ऐसे मिशन ब्रह्मांड की सबसे दिलचस्प घटनाओं जैसे सुपरनोवा विस्फोटों के आसपास के रहस्यों को उजागर करने में भी सहायक होते हैं. वे खगोलविदों के लिए महत्वपूर्ण हैं जो इनमें से कुछ खगोलीय प्रक्रियाओं और उनके द्वारा उत्सर्जित एक्स-रे की जांच कर रहे हैं. पोलारिमेट्री मूलतः प्रकाश का गुण है. अंतरिक्ष में एक्स-रे पोलारिमेट्री कैसे काम करता है इसका अध्ययन करके, खगोलविद नए रहस्य को सुलझा सकते हैं कि प्रकाश कहां से आ रहा है और वह ऊर्जा स्रोत क्या है.
लेखक: इमरान अंसारी