बिलकिस बानो केस पर सुप्रीम फैसला

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नई दिल्ली/डेस्क: बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में गुजरात सरकार के द्वारा दोषियों को जल्दी रिहा करने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। अदालत ने दोषियों की रिहाई के आदेश को निरस्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सजा को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुनवाई योग्य माना है।

इस मामले में न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्‍ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ने विशेष पीठ फैसला सुनाया। अदालत ने अक्टूबर 2023 में 15 अगस्त, 2022 को राज्य की छूट नीति के तहत 11 दोषियों को रिहा करने की गुजरात सरकार की कार्रवाई की वैधता के सवाल पर सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

इस मामले में विपक्ष के नेताओं ने याचिका दायर की थी और सुनवाई के दौरान केंद्र, गुजरात सरकार, और दोषियों ने सजा में छूट के आदेश के खिलाफ विरोध किया। उन्होंने कहा कि जब पीड़िता ने स्वयं अदालत का दरवाजा खटखटाया है, तो दूसरों को इस मामले में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

दोषियों ने अपनी ओर से यह दावा किया कि उन्हें शीघ्र रिहा करने वाले माफी आदेशों में न्यायिक आदेश का सार है और इसे संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका दायर करके चुनौती नहीं दी जा सकती।

दूसरी ओर, एक जनहित याचिका वादी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने दलील दी कि छूट के आदेश ‘कानून की दृष्टि से खराब’ हैं और 2002 के दंगों के दौरान बानो के खिलाफ किया गया अपराध धर्म के आधार पर किया गया “मानवता के खिलाफ अपराध” था। जयसिंह ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले में देश की अंतरात्मा की आवाज झलकेगी।

लेखक: करन शर्मा