नई दिल्ली/डेस्क: मानवाधिकारों के क्षेत्र में काम करने वाले संगठन, ह्यूमन राइट्स वॉच, ने भारत सरकार पर धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ़ भेदभाव का आरोप लगाया है। संगठन ने ‘वर्ल्ड रिपोर्ट 2024’ में भारत के मानवाधिकार नीतियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि भारत में मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है और देश का लोकतंत्रिक नेतृत्व कमजोर हुआ है।
ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट में उठाए गए कई मुद्दे शामिल हैं, जैसे मणिपुर में हुए नस्लीय टकराव, दिल्ली के जंतर मंतर में महिला पहलवानों के विरोध प्रदर्शन, और जम्मू-कश्मीर के हालात। इसके बावजूद, भारत सरकार ने इस रिपोर्ट का कोई जवाब नहीं दिया है। ह्यूमन राइट्स वॉच क़रीब 100 देशों में मानवाधिकारों से जुड़ी नीतियों और कार्रवाई पर नज़र रखता है. इसी के आधार पर वो अपनी सालाना विश्व रिपोर्ट तैयार करता है.
रिपोर्ट में क्या है?
ह्यूमन राइट्स वॉच की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि पिछले साल भारत में मानवाधिकारों के दमन और उत्पीड़न की कई घटनाएं हुई हैं। संगठन ने अपने बयान में भारत में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार को हिंदू राष्ट्रवादी सरकार कहा है। साथ ही कहा गया है कि सरकार ने बीते साल सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों, विपक्षी नेताओं और सरकार के आलोचकों को गिरफ़्तार किया है, और उन पर आतंकवाद समेत राजनीति से प्रेरित आपराधिक आरोप लगाए गए हैं।
ह्यूमन राइट्स वॉच की एशिया उप निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने कहा है कि भाजपा सरकार की भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी नीतियों के कारण अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा बढ़ी है और इससे डर का माहौल बना है, सरकार की आलोचना करने वालों में डर पैदा हुआ है। उन्होंने कहा, “परेशान करने वाली बात ये रही कि सरकारी तंत्र ने इसके लिए ज़िम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय करने की बजाय पीड़ितों को सज़ा दी और सवाल उठाने वाले के ख़िलाफ़ कार्रवाई की।”
लेखक: करन शर्मा