नई दिल्ली/डेस्क: उत्तराखंड विधानसभा ने मंगलवार को UCC (Uniform Civil Code) विधेयक पेश किया। इसके लागू होने पर उत्तराखंड आजादी के बाद पहला राज्य बनेगा जो UCC को लागू करेगा।
इस विधेयक के तहत, विवाह, तलाक, और विरासत के मामलों में सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून लागू होगा, चाहे वे किसी भी धर्म के हों। इसका मतलब है कि हत्यारे बेटे को पिता की संपत्ति पर अधिकार नहीं होगा। तलाक के बाद विवाह करने के लिए महिला पर किसी भी प्रकार की शर्त नहीं लगेगी।
नाजायज रिश्ते से जन्में बच्चे को भी मिलेगा अधिकार
- नाजायज रिश्ते से जन्मे बच्चों को भी समान अधिकार मिलेगा। अगर किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है और उसके माता-पिता जिंदा हैं, तो उन्हें मृतक की संपत्ति में से एक हिस्सा मिलेगा। बेटे और बेटियों को माता-पिता की संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा।
- अगर किसी बच्चे का जन्म माता-पिता के नाजायज रिश्ते से होता है, तो भी उसे माता-पिता की संपत्ति में समान हिस्सा मिलेगा। यदि गर्भ में ही उसके पिता की मौत हो जाती है, तो भी उसे पिता की संपत्ति में अधिकार होगा।
- अगर कोई बेटा पिता की हत्या करता है, तो उसे पिता की संपत्ति में से हिस्सा नहीं मिलेगा। संपत्ति की वसीयत करने, बदलने या वापस लेने का अधिकार हर किसी को होगा।
समलैंगिक विवाह की इजाजत नहीं
- समलैंगिक विवाह की इजाजत नहीं होगी। विवाह के लिए न्यूनतम उम्र लड़के के लिए 21 साल और लड़की के लिए 18 साल होगी। दूसरी शादी तलाक बिना नहीं की जा सकती, और तलाक के बाद दोबारा उसी पुरुष से या अन्य पुरुष से शादी करने पर कोई शर्त नहीं लगेगी।
- विवाह के बाद पति-पत्नी में से कोई भी बिना दूसरे की सहमति से धर्म बदलता है तो दूसरे व्यक्ति को तलाक लेने और गुजारा भत्ता क्लेम करने का अधिकार होगा।, और विवाह का पंजीकरण अनिवार्य होगा।
- सभी जाति और धर्म के लोगों के लिए तलाक के नियम एक समान होंगे।
- लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़े के लिए लड़की की उम्र 18 साल या इससे अधिक होनी चाहिए। लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन भी अनिवार्य होगा।
लेखक: करन शर्मा