उत्तराखंड में लागू हुआ UCC, जानें इससे जुड़ी 10 प्रमुख बातें…

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नई दिल्‍ली : उत्तराखंड विधानसभा में UCC यानी समान नागरिक संहिता बिल पारित हो गया है। यह बिल 7 फरवरी को उत्तराखंड की विधानसभा में ध्वनिमत से पास हो गया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने इस बिल को 6 फरवरी को विधानसभा में पेश किया था। इस बिल के पारित होते ही अब उत्तराखंड UCC को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। मिली जानकारी के अनुसार, अब इस बिल के कानून बनते ही कई नए प्रावधान आ जाएंगे।

क्या है UCC?

यूनिफाइड सिविल कोड (UCC) एक कानूनी विधेयक होता है, जो एक देश की सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक स्थिति को साधने का उद्देश्य रखता है। इसमें धर्म, जाति, लिंग, और अन्य संदर्भों के आधार पर नागरिक कानून को समायोजित किया जाता है।

यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) से जुड़ी कुछ जानकारियां संक्षेप में….

ड्राफ्ट कमेटी और रिपोर्ट
  • समान नागरिक संहिता पर ड्राफ्ट कमेटी की रिपोर्ट कुल 780 पन्नों की है।
  • इसमें लगभग 2 लाख 33 हजार लोगों ने अपने विचार दिए हैं।
  • ड्राफ्ट में 400 से ज़्यादा धाराएं हैं।
महिला अधिकारों पर केंद्रित
  • यूसीसी विधेयक महिला अधिकारों पर केंद्रित है।
  • बहु-विवाह पर रोक का प्रावधान है।
  • लड़कियों की शादी की उम्र को 18 साल से बढ़ाने का प्रावधान है।
लिव-इन रिलेशनशिप रजिस्ट्रेशन
  • लिव-इन रिलेशनशिप के लिए रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य बनाया गया है।
  • इससे पुरुषों और महिलाओं को फायदा होगा, कहते हैं कानूनी विशेषज्ञ।
विरासत का अधिकार
  • बिल में लड़कियों को लड़कों के बराबर विरासत का अधिकार देने का प्रस्ताव है।
  • कई धर्मों के पर्सनल लॉ में अभी तक लड़कों और लड़कियों को समान विरासत का अधिकार नहीं है।
जनजातियों का प्रावधान
  • उत्तराखंड की 4% जनजातियों को क़ानून से बाहर रखने का प्रावधान है।
  • मसौदे में जनसंख्या नियंत्रण उपायों और अनुसूचित जनजातियों को शामिल नहीं किया गया है।
शादी का रजिस्ट्रेशन और सुविधाएं
  • बिल में शादी का रजिस्ट्रेशन करने का प्रस्ताव है।
  • रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर सरकारी सुविधाएं नहीं मिलेंगी।
बच्चा गोद लेने का प्रस्ताव
  • बिल में बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया को आसान करने का प्रस्ताव है।
  • मुस्लिम महिलाओं को भी बच्चा गोद लेने का अधिकार देने का प्रस्ताव है।
मुस्लिम समुदाय के लिए प्रावधान
  • हलाला और इद्दत पर रोक लगाने का प्रस्ताव बिल में है।
मृत्यु के बाद माता-पिता का हक
  • पति की मृत्यु पर पत्नी दोबारा शादी करती है, तो मुआवज़े में माता-पिता को भी हक होने का प्रस्ताव है।
  • पति-पत्नी के बीच विवाद होने पर बच्चों की कस्टडी दादा-दादी को देने का प्रस्ताव है।