सरकार के प्रस्ताव को ख़ारिज करने की वजह ? आखिर क्या है किसानों की असल मांग ?

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नई दिल्ली/डेस्क: किसानों की मांग पर केंद्र सरकार ने एमएसपी पर पांच साल के कॉन्ट्रेक्ट का प्रस्ताव दिया था. जिसको किसान मोर्चा ने सिरे से खारिज कर दिया है. किसानों का कहना है C2+50% से नीचे कुछ भी स्वीकार नहीं है. साथ ही किसानों ने कहा कि हम शांतिपूर्ण प्रर्दशन करेंगे और जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं हो पाती हम डंटे रहेंगे.

पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर पिछले 7 दिन से आंदोलन कर रहे किसान नेताओं और केंद्र सरकार के बीच रविवार (18 जनवरी) को चौथे दौर की बैठक हुई. मीटिंग में सरकार ने 5 फसलों पर MSP देने का प्रस्ताव दिया। प्रस्ताव को किसानों ने खारिज कर दिया है. किसान नेता जगजीत डल्लेवाल ने कहा कि हमने किसानों और एक्सपर्ट से बात की है. हमारी MSP पर गारंटी कानून की मांग पूरी हो. MSP देने के लिए 1.75 लाख करोड़ की जरूरत नहीं है.

केंद्र सभी फसलों पर MSP की गारंटी दे तो आंदोलन खत्म करने को तैयार हैं. मंगलवार को हम मीटिंग करके रणनीति बनाएंगे और परसों (21 फरवरी बुधवार) दिल्ली कूच करेंगे. बार-बार बातचीत नहीं करेंगे. अब सब कुछ केंद्र के हाथ में है. केंद्र फैसला ले. केंद्र का प्रपोजल किसानों के हित में नहीं है. वहीं हरियाणा के 7 जिलों में इंटरनेट पर पाबंदी का फैसला 20 फरवरी की रात 12 बजे तक बढ़ा दिया गया है.

सरकार का प्रस्ताव

सरकार की तरफ से किसानों से बात करने पहुंचे केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार कपास, मक्का, मसूर, अरहर और उड़द पर MSP देने को तैयार है. अगले 5 साल तक पांचों फसलों की खरीद सहकारी सभाओं के जरिए होगी. NAFED और NCCF से 5 साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट होगा.

किसानों की मांगें

किसान सभी फसलों को MSP पर खरीद के लिए कानून की मांग कर रहे हैं. उनकी मांग है कि फसलों की कीमतें स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर तय की जाएं. इसके अलावा किसानों ने मिर्च, हल्दी और दूसरे मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग के गठन की मांग भी की है.

लेखक: इमरान अंसारी