मुंबई: महाराष्ट्र में आठ हजार रेजिडेंट डॉक्टर हॉस्टल में चूहों से परेशान होकर हड़ताल पर बैठ गए हैं। रेजिडेंट डॉक्टरों का आरोप है कि हॉस्टल में रहन-सहन की स्थिति खराब है, साथ ही उनको वेतन भी कम दिया जाता है और वो भी लेट ही आता है। प्रदर्शनकारी डॉक्टरों का कहना है कि वे लंबे समय से सुधार की मांग कर रहे हैं, लेकिन उन्हें सरकार से केवल आश्वासन ही मिलते रहे हैं।
हॉस्टल में चूहे घूमते हैं
डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें महीने के अंत में मिलने वाला वेतन उनके उत्तर प्रदेश और बिहार के समकक्षों से कम है। उन्होंने कहा कि हॉस्टल में खराब रहन-सहन की स्थिति उनकी परेशानी को और बढ़ा देती है। जूनियर महिला डॉक्टरों का दावा है कि हॉस्टल में चूहे घूमते हैं और पांच लोगों को एक कमरे में रहना पड़ता है और कमरों की छत से पानी टपकता रहता है।
डॉक्टरों का दावा है कि बुनियादी ढांचा इतना खराब है कि कभी-कभी उन्हें मरीजों के लिए निर्धारित बिस्तरों पर ही सोना पड़ता है। महाराष्ट्र जीडीपी के अनुसार कथित रूप से भारत का सबसे अमीर राज्य है। अनिश्चितकालीन हड़ताल से यह चिंता पैदा हो गई है कि डॉक्टरों की अनुपलब्धता के कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। हालांकि, वे आपातकालीन सेवाएं प्रदान करना जारी रखेंगे।
महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स सेंट्रल के अध्यक्ष डॉ. अभिजीत हेलगे ने कहा “हम मरीजों को कोई परेशानी नहीं देना चाहते, लेकिन हमें ऐसा करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। हम एक साल से अपनी मांग उठा रहे हैं। डॉक्टरों की संख्या ज्यादा है और उनके लिए हॉस्टल के कमरे कम हैं। वेतन बिहार-यूपी-दिल्ली से कम है और कभी-कभी चार महीने की देरी हो जाती है। सरकार कह रही है कि वे दो दिन में जमा कर देंगे, लेकिन दो हफ्ते बीत चुके हैं।”
मरीज के बिस्तर पर सोना पड़ता है
एक रेजिडेंट डॉक्टर ने इसी तरह की चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “छात्रावास के कमरे में चूहे घूमते हैं और कभी-कभी मरीज के बिस्तर पर सोना पड़ता है। किसी ने शादी करने के लिए लोन लिया, और कुछ के बच्चे हैं क्योंकि हमें वेतन देर से मिला। बताओ ऐसी स्थिति में कैसे मैनेज करें। हम एक साल से मांग उठा रहे हैं। डॉक्टर खुद बीमार पड़ रहे हैं।”
रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखा है और एक बैठक भी हुई है। प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने उप मुख्यमंत्री अजित पवार से भी फोन पर बात की। माना जा रहा है कि मुद्दों पर सहमति बन जाएगी, लेकिन यह कब होगा, यह निश्चित नहीं है। रेजिडेंट डॉक्टर मरीजों की देखभाल में कमी के लिए सीधे सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।