नई दिल्ली/डेस्क: अल्लाह की इबादत का मुकद्दस महीना रमजान चांद के दीदार के साथ शुरू होगा. सोमवार को चांद नजर आने की संभावना है, अगर चांद का दीदार हुआ तो 12 मार्च को मुसलमान पहला रोजा रखेंगे. इस साल का पहला रोजा सबसे छोटा और आखिरी सबसे लंबा होगा.
इस्लाम धर्म का सबसे महत्वपूर्ण रमजान का महीना होता है. कल 12 मार्च से रमजान का महीना शुरू हो जाएगा और इसी दिन रमजान का पहला रोजा रखा जाएगा. इस्लाम धर्म में रोजा रखने का मतलब है, खुद को खुदा के लिए समर्पित करना. ये रोजा पूरे एक महीने तक सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त रखा जाता है. इसके साथ ही रमजान के महीने में सहरी और इफ्तार की परंपरा भी निभाई जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सहरी और इफ्तार की परंपरा कैसे निभाई जाती है.
सहरी और इफ्तार
इस्लामिक परंपराओं के अनुसार, रमजान के महीने में रोजा रखने वाले अगर सुबह सूर्योदय से पहले कुछ खा लेते हैं तो उसे सहरी कहते हैं और पूरे दिन इबादत कर शाम को सूर्यास्त के बाद खुदा से दुआ करने के बाद उपवास तोड़ा जाता है, जिसे इफ्तार कहा जाता है. रोजे के दौरान कुछ भी खाने या पीने की अनुमति नहीं होती है.
तरावीह क्या है ?
इफ्तार करने के कुछ समय बाद तरावीह होती है. तरावीह एक तरह की नमाज़ ही होती है. जिसमें मुसलमान पूरे रमजान ईशा की नमाज़ के तुरंत बाद पढ़ते है. तरावीह में मुस्लिम समाज की सबसे पाक किताब कुरान को सुनाया जाता है.
लेखक: इमरान अंसारी