नई दिल्ली/डेस्क: 11 मार्च को, केंद्र सरकार ने पूरे देश में सीएए (सिटिजनशिप अमेंडमेंट एक्ट) लागू कर दिया है. इसके बाद, असम में विपक्ष ने विरोध प्रदर्शन और हड़ताल का एलान किया है. मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि अगर कोई ऐसा व्यक्ति मिलता है जिसने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में आवेदन नहीं किया है और फिर भी नागरिकता प्राप्त करता है, तो तो वो इस्तीफा देने वाले पहले व्यक्ति होंगे.
मुख्यमंत्री ने शिवसागर में एक कार्यक्रम में यह कहा कि वे असम के बेटे हैं और अगर कोई भी व्यक्ति एनआरसी के लिए आवेदन नहीं करता है और फिर भी नागरिकता प्राप्त करता है, तो वह इस्तीफा दे देंगे. इसके बावजूद, असम में विरोध प्रदर्शन जारी है.
सीएए के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा है कि यह पहले से ही लागू हो चुका है और अब पोर्टल पर आवेदन करने का समय आ गया है. पोर्टल पर डेटा अब बोलेगा, और यह स्पष्ट हो जाएगा कि अधिनियम का विरोध करने वालों के दावे तथ्यात्मक रूप से सही हैं या नहीं.
सोमवार को केंद्र सरकार ने पूरे देश में सीएए लागू किया है, जिसके बाद असम में विरोध प्रदर्शन और हड़ताल शुरू हो गया है. यूओएफए (16-दलीय संयुक्त विपक्ष मंच) ने मुख्यमंत्री की चेतावनी के बावजूद हड़ताल का एलान किया है, और असम के विभिन्न हिस्सों में CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा है.
इस कानून के तहत अब केंद्र सरकार ने बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देने का फैसला किया है, लेकिन इसमें वे लोग शामिल होंगे जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे। इसमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई धर्म धर्म के अनुयायी शामिल हैं.
लेखक: करन शर्मा