18 करोड़ भारतीय मुसलमानों से कोई लेना देना नहीं, गृह मंत्रालय ने ऐसा क्यों कहा ?

Published

नई दिल्ली/डेस्क: गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि सीएए में किसी भी भारतीय की नागरिकता को प्रभावित करने वाला कोई प्रावधान नहीं है. इससे भारत में रह रहे उन 18 करोड़ भारतीय मुसलमानों से कोई लेना देना नहीं है, जिनके पास समकक्ष हिंदू भारतीय नागरिकों के समान ही अधिकार हैं.

क्या कुछ कहा गृह मंत्रालय ने?

गृह मंत्रालय ने बयान में कहा कि भारतीय मुसलमानों को किसी तरह की चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस कानून में उनकी नागरिकता को प्रभावित करने वाला कोई प्रावधान नहीं है. नागरिकता कानून का वर्तमान 18 करोड़ भारतीय मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है, जिनके पास अपने समकक्ष हिंदू भारतीय नागरिकों के समान अधिकार हैं.

केंद्र ने 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों के लिए तेजी से नागरिकता प्रदान करने के वास्ते नागरिकता (संशोधन) कानून को सोमवार को अधिसूचित किया.

बयान में कहा गया कि अन्य धर्मों वाले भारतीय नागरिकों की तरह भारतीय मुस्लिमों के लिए आजादी के बाद से उनके अधिकारों की स्वतंत्रता और अवसर को कम किए बिना सीएए ने 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत आने वाले लोगों के उत्पीड़न की पीड़ा को कम करने और उनके प्रति उदार व्यवहार दिखाने के उद्देश्य से नागरिकता के लिए आवेदन की योग्यता अवधि को 11 से कम कर पांच साल कर दिया है.

लेखक: इमरान अंसारी