मुख्तार अंसारी: अपराध के सम्राट से नेता तक का सफर

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मुख्तार अंसारी: उत्तर प्रदेश के सियासी मंच पर एक ऐसा नाम है, जिसने अपने अपराधों से देश को हिलाकर रख दिया। मुख्तार अंसारी, जिनकी मृत्यु बांदा मेडिकल कॉलेज में दिल का दौरा पड़ने से हुई, का एक अपराधी से नेता बनने का सफर कुछ हद तक हैरान करने वाला है।

मुख्तार का मतलब?

मुख्तार नाम का मतलब है “जिसे अधिकार प्राप्त हो”, लेकिन यह नाम उनके अपराधों के सिलसिले में नहीं था। उनके माता-पिता इस नाम से एक साधारण जीवन की उम्मीद करते थें। अपने जीवन के रास्ते में, मुख्तार अपराध की दुनिया का भी “मुख्तार” बन गया।

फैमिली हिस्ट्री

मुख्तार अंसारी के फैमिली हिस्ट्री की बात करें तो उसका परिवार एक प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार हुआ करता था। उनके दादा स्वतंत्रता सेनानी थे और नाना ने देश के लिए अपनी जान की आहुति दी थी। लेकिन, इस खानदानी परिवार से ताल्लुक रखने वाले मुख्तार की राह अपराध की ओर मुड़ गई।

अपराध की दुनिया में उनका पहला कदम फिल्मी अंदाज में हत्याओं से शुरू हुआ। लेकिन उनका सफर यहीं खत्म नहीं हुआ, वे नेता बने और अपराध की दुनिया में उनका दबदबा बढ़ता गया। राजनीति के खेल में वह हमेशा अपराध की सीढ़ियां चढ़ते रहे और ऊंचे पदों पर पहुंचे।

कृष्णानंद राय हत्याकांड

2002 में एक घटना ने उनकी पहचान और भी बदल दी। इसी साल बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय ने अंसारी परिवार के पास 1985 से रही गाजीपुर की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट छीन ली। यह बात मुख्तार को इतनी नागवार गुजरी कि उसने राय की हत्या करवा दी. 29 नवंबर 2005 को एक कार्यक्रम से लौटते वक्त कृष्णानंद राय पर जानलेवा हमला हुआ।

यह वारदात इतनी खौफनाक थी कि AK-47 राइफल से उनके शरीर पर 500 गोलियां दागी गईं। इस घटना ने पूरे देश को हिला दिया था। राय समेत मौके पर सात लोगों की मौत हो गई थी।

लेखक: करन शर्मा