नईमा खातून को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) की पहली महिला वाइस चांसलर नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति का ऐतिहासिक महत्व है क्योंकि वह यूनिवर्सिटी के 100 साल के इतिहास में पहली महिला हैं जिन्हें इस पद पर नियुक्त किया गया है। नईमा खातून को वाइस चांसलर के पद के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी मिलने के बाद नियुक्त किया गया। उन्हें पांच सालों तक यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर के तौर पर कार्य करने का मौका मिलेगा।
कैसे चुना जाता है एएमयू का वाइस चांसलर?
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर का चयन अनूठा तरीके से होता है। यहां, एग्जिक्यूटिव काउंसिल और कोर्ट का महत्वपूर्ण योगदान होता है। एग्जिक्यूटिव काउंसिल में 27 सदस्य होते हैं, जो वाइस चांसलर के पद के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों में से पांच उम्मीदवारों का चयन करते हैं। इन पांच उम्मीदवारों को एग्जिक्यूटिव काउंसिल द्वारा शॉर्टलिस्ट किया जाता है, और फिर बैलेट पेपर वोटिंग के जरिए उनमें से एक का चयन किया जाता है।
इसके बाद, शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों के नाम को एएमयू कोर्ट में भेजा जाता है, जहां कोर्ट के सदस्यों द्वारा उनमें से तीन उम्मीदवारों का चयन किया जाता है। अंत में, यह तीन उम्मीदवारों का नाम शिक्षा मंत्रालय के पास भेजा जाता है, जो उनमें से एक का चयन करता है और राष्ट्रपति को सिफारिश भेजता है। राष्ट्रपति के द्वारा चयनित उम्मीदवार को वाइस चांसलर के रूप में नियुक्त किया जाता है।
कौन हैं नईमा खातून?
नईमा खातून का अध्ययन क्षेत्र मनोविज्ञान है, और उन्होंने एएमयू से ही अपनी शिक्षा प्राप्त की है। उन्होंने यूनिवर्सिटी में लेक्चरर के पद पर कार्य किया और फिर प्रोफेसर बनने का सम्मान प्राप्त किया। पहले वे वीमन्स कॉलेज के प्रिंसिपल रह चुकी हैं, और अब उन्हें एएमयू के वाइस चांसलर के रूप में चुना गया है। उनकी नियुक्ति का इतिहास मुझे गर्व है, क्योंकि यह एक महिला के लिए नहीं, बल्कि उनके योगदान के लिए भी महत्वपूर्ण है। उन्हें इस महत्वपूर्ण पद की दिशा में हमारी शुभकामनाएँ।
लेखक: करन शर्मा