भाजपा ने हमारे घोषणापत्र पर सांप्रदायिक सर्जिकल स्ट्राइक की है: जयराम रमेश

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नई दिल्ली/डेस्क: न्यूज़ इंडिया के संपादक, ओम प्रकाश ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण साक्षात्कार किया, जिसमें कांग्रेस के महासचिव जयराम रमेश ने ‘रामलला प्राण प्रतिष्ठा’ पर अपने विचार व्यक्त किए। साक्षात्कार में रमेश ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए, जो राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं।

मेरे नाम में राम का नाम दो बार आता है

संवाद में जयराम रमेश ने कहा, “मेरे नाम में राम का नाम दो बार आता है। हम राम के पुजारी हैं, व्यापारी नहीं। हम भगवान राम को राजनीतिक नजरिए से नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक नजरिए से देखते हैं। लेकिन 22 जनवरी का समारोह, राजनीतिक समारोह था, इसके पीछे चुनावी मकसद था।”

जयराम रमेश ने संवाद में एक और महत्वपूर्ण प्रश्न का जवाब भी दिया, जिसमें उनसे पूछा गया कि क्या राम मंदिर का मुद्दा (INDI) गठबंधन के मुद्दे पर हावी हैं?

भाजपा ने हमारे घोषणापत्र पर सांप्रदायिक सर्जिकल स्ट्राइक की

उन्होंने इस प्रश्न का जवाब देते हुए कहा,”भाजपा ‘अबकी बार 400 पार’ का नारा लगा रही थी, लेकिन पिछले 6 दिनों से चुप हो गए हैं, क्योंकि हमने मुद्दा उठाया कf BJP संविधान में बदलाव करना चाहती है ताकि आरक्षण को खत्म किया जा सके।

भाजपा ने हमारे घोषणापत्र पर सांप्रदायिक सर्जिकल स्ट्राइक की है। हमारे 80 पन्नों के मेनिफेस्टो में कहीं भी विरासत कर ( Inheritance Tax) का जिक्र नहीं है। पिछले दस सालों में 21 पूंजीपतियों ने इतनी संपत्ति अर्जित कर ली है जितनी 70 करोड़ भारतीयों ने अर्जित की है।”

उन्होंने यह भी कहा कि स्वच्छ भारत अभियान पहले कांग्रेस ने शुरू किया था लेकिन नरेंद्र मोदी ने हमारी परियोजना की नकल की और इसे स्वच्छ भारत अभियान में बदल दिया। यह हम ही थे जिन्होंने ‘खुले में शौच मुक्त भारत’ पहल की शुरुआत की थी।

यह अचानक मुद्दा क्यों बन गया?’

उन्होंने इस साक्षात्कार में यह भी कहा कि कांग्रेस से लोग क्यों जा रहे हैं, उसके बारे में भी अपनी बात कही। उन्होंने कहा कि कई नेता डरे हुए हैं, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) उन्हें विभिन्न एजेंसियों जैसे ईडी और आयकर विभाग के माध्यम से धमकी दे रही है। उन्होंने कहा कि इस तरह की धमकियों से नेताओं को आत्मसमर्पण करना पड़ रहा है और वे कांग्रेस को छोड़ रहे हैं।

इसके अलावा आरक्षण के मुद्दे पर रमेश ने कहा कि, ” हमने कर्नाटक में मुसलमानों को 4 प्रतिशत आरक्षण आर्थिक या सामाजिक सर्वेक्षण के आधार पर प्रदान किया था। पिछले 30 वर्षों से, कर्नाटक में 4 भाजपा मुख्यमंत्री रहे, 2 प्रधानमंत्री रहे, लेकिन तब कुछ नहीं हुआ। लेकिन यह अचानक मुद्दा क्यों बन गया?”

इस साक्षात्कार ने दिखाया कि भारतीय राजनीति में विवाद और विचारों की रोशनी के साथ, सच्चाई और जनसंवाद की महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए।

लेखक: करन शर्मा