कन्याकुमारी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को अंतिम चरण का चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद कन्याकुमारी के प्रसिद्ध विवेकानंद रॉक मेमोरियल में दो दिनों के ध्यान के लिए चुना है। यह ध्यान यात्रा 30 मई की शाम से शुरू होकर 1 जून की शाम तक चलेगी। इस दौरान सुरक्षा के लिए 2,000 पुलिसकर्मियों सहित विभिन्न सुरक्षा एजेंसियां कड़ी निगरानी रखेंगी।
विवेकानंद रॉक मेमोरियल का महत्व
विवेकानंद रॉक मेमोरियल वह स्थान है जहां स्वामी विवेकानंद ने देशभर का दौरा करने के बाद तीन दिनों तक ध्यान लगाया था। इस दौरान स्वामी विवेकानंद को विकसित भारत का सपना दिखा था। इस स्थल का नाम स्वामी विवेकानंद की स्मृति में रखा गया है और यह भारत के सुदूर दक्षिणी छोर पर स्थित है, जहां पूर्वी और पश्चिमी घाट मिलते हैं। यह स्थल हिंद महासागर, अरब सागर और बंगाल की खाड़ी का भी मिलन स्थल है।
प्रधानमंत्री मोदी का ध्यान स्थल चयन
प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान 2047 तक विकसित भारत का निर्माण प्रमुख मुद्दा बनाया है। इसी संदर्भ में विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर ध्यान लगाना उनके लिए विशेष महत्व रखता है। यह ध्यान स्वामी विवेकानंद के विकसित भारत के सपने को साकार करने की प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धता का प्रतीक है। इस स्थान का धार्मिक महत्व भी है, क्योंकि देवी पार्वती ने यहां एक पैर पर खड़े होकर भगवान शिव का इंतजार किया था।
अन्य कार्यक्रम
प्रधानमंत्री मोदी अपने प्रवास के दौरान प्रसिद्ध श्री भगवती अम्मन मंदिर में पूजा-अर्चना कर सकते हैं। इसके अलावा वे तमिल कवि तिरुवल्लुवर की 133 फीट ऊंची प्रतिमा भी देखने जा सकते हैं। उनके दौरे के लिए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है, जिसमें राक मेमोरियल, बोट जेटी, हेलीपैड और राज्य अतिथि गृह की सुरक्षा शामिल है।
डीएमके की आपत्ति
प्रधानमंत्री के आध्यात्मिक प्रवास के खिलाफ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने जिला कलेक्टर के पास याचिका दायर की है। याचिका में चुनाव आचार संहिता लागू होने और पर्यटन सीजन के दौरान घरेलू और विदेशी पर्यटकों की तादाद का हवाला दिया गया है। इसके बावजूद, चुनावी कानून के तहत प्रधानमंत्री के ध्यान यात्रा पर कोई रोक नहीं है।
बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी की यह ध्यान यात्रा न केवल आध्यात्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह उनके विकसित भारत के संकल्प को भी दर्शाती है, जो उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान बार-बार दोहराया है।