JPC के खुलासे से कई बार पलटी है केंद्र की सरकार, विपक्ष की मांग Adani केस की JPC से कराएं जांच

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JPC जांच की मांग को लेकर एकजुट हुआ विपक्ष

दिल्ली: साल 2021 में सितंबर-अक्टूबर महीने के दौरान गौतम अडानी (Gautam Adani) की संपत्ती आसमान छू रही थी। 16 सितंबर की मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वो दुनिया की दूसरे सबसे अमीर शख्सियत के तौर पर मशहूर हुए। लेकिन, अब महज तीन महीने बाद ही उनकी संपत्ती में ऐसी गिरावट आई कि वो दूसरा- तीसरा स्थान तो छोड़िए। पहले टॉप 10 और अब टॉप 20 की लिस्ट से भी बाहर हो गए। मौजूदा हालांतों की बात करें तो, वो लगातार पिछड़ते ही जा रहे हैं और इसकी वजह हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट को मानी जा रहा है।

विपक्षी पार्टियों ने JPC की उठाई मांग

लेकिन आज बात अडानी की संपत्ती की नहीं बल्कि संसद में अडानी के नाम पर छिड़ी बहस को लेकर करेंगे। क्योंकि कांग्रेस, तृणमुल कांग्रेस, और आम आदमी पार्टी समेत 13 विपक्षी दल इस मामले को घोटाला करार देकर इसे JPC से जांच कराने की मांग की हैं। जेपीसी यानी ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी।

अब तक 6 मामलों में हो चुकी है JPC जांच

इतिहास में जेपीसी से केवल 6 बार ही जांच कराई गई है और जेपीसी की इन जांचो से राजीव गांधी की सरकार से लेकर नरसिम्हाराव और मनमोहन सिंह की सत्ता तक हिल गई। तो अब एक बार फिर से अडानी मामले की जांच को JPC से कराने की मांग की जा रही है। लेकिन, मौजूदा बीजेपी सरकार इस मांग से कतरा रही हैं।

साल 1987 के दौरान पहली बार ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी बनाई गई। उस दौरान राजीव गांधी के नेतृत्व कांग्रेस भारी बहुमत में थी। 543 में से 414 सांसद कांग्रेस के थे। उसी दौरान बोफोर्स घोटाले की चर्चा जोरों से होने लगी। जिसके बाद JPC बनाकर इस मामले की जांच कराई गई।

नरसिम्हा राव पर लगा था एक करोड़ का आरोप

दूसरी बार साल 1992 में हर्षद मेहता घोटाले की जांच जेपीसी कराई गई । उस दौरान केंद्र में नरसिम्हाराव की सरकार थी। मेहता ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि उसने PM नरसिम्हा राव को एक करोड़ की रिश्वत दी थी। जिसके बाद मामला उलझता चला गया। जिसमें अगामी आम चुनाव में कांग्रेस की हार हुई।

केतन पारेख शेयर मार्केट घोटाले की जांच के लिए तीसरी बार देश में  JPC बनाई गई। यह वक्त था  26 अप्रैल 2001। कमेटी ने 105 बैठकों के बाद 19 दिसंबर 2002 को अपनी रिपोर्ट सौंपी। हालांकि, इस घोटाले में सरकार के ऊपर कोई आरोप नहीं लगा था।

JPC, 2G स्पेक्ट्रम की भी कर चुकी है जांच

इसके बाद तो साल 2003 में सॉफ्ट ड्रिंक में पेस्टीसाइड का मामला, साल 2011 में 2G स्पेक्ट्रम केस, साल 2013 में वीवीआईपी हेलिकॉप्टर घोटाले की जांच JPC से कराई गई।

बता दें कि जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी यानी सांसदों की मिली-जुली कमेटी होती है। भारत की संसद में दो तरह की कमेटियों का रिवाज है- स्थायी कमेटी और अस्थायी कमेटी।

Written by:- Sarfaraz Saifi, Vice President News