Digital Fraud, रेपो रेट और बैंकों की कारोबारी नीति को लेकर; MPC Meeting में क्‍या बोले RBI गवर्नर शक्तिकांत दास

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मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने हाल ही में संपन्न हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC Meeting) की बैठक के बाद डिजिटल धोखाधड़ी (Digital Fraud), रेपो रेट और बैंकिंग नीतियों से संबंधित कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी बात रखी। दास ने बैंकों की ऋण और जमा वृद्धि के बीच असंतुलन को दूर करने और बिना गारंटी वाले कर्ज में वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण कदमों की आवश्यकता पर बल दिया।

डिजिटल फ्रॉड पर चिंताएं और उपाय

दास ने डिजिटल धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि डिजिटल लेनदेन की सुरक्षा के लिए आरबीआई जल्द ही एक डिजिटल पेमेंट इंटेलीजेंस प्लेटफॉर्म पेश करने की योजना बना रहा है। यह प्लेटफॉर्म सिस्टम में वास्तविक समय डेटा साझा करने की सुविधा देगा, जिससे डिजिटल धोखाधड़ी की घटनाओं पर तेजी से काबू पाया जा सकेगा। इसके साथ ही, कुछ आवर्ती भुगतान ई-मैंडेट फ्रेमवर्क के तहत शामिल किए जाएंगे और UPI-Lite को भी इस फ्रेमवर्क में लाया जाएगा। दास ने कहा, “ग्राहकों का हित आरबीआई के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है” और सभी संबंधित प्रणालियों को डिजिटल फ्रॉड रोकने के लिए एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है।

रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं

दास ने घोषणा की कि रेपो रेट को लगातार आठवीं बार 6.5% पर स्थिर रखा गया है। उन्होंने महंगाई और अन्य आर्थिक कारकों पर चर्चा करते हुए बताया कि मौजूदा नीतिगत दरें देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति के लिए उपयुक्त हैं। महंगाई में कमी लाने और खाद्य कीमतों की अनिश्चितता पर नजर बनाए रखने के लिए एमपीसी की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि घरेलू परिस्थितियों और आउटलुक के आधार पर आरबीआई की नीतिगत फैसले लिए जा रहे हैं।

बैंकों की कारोबारी नीतियों पर जोर

आरबीआई गवर्नर ने बैंकों की ऋण और जमा वृद्धि के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “बैंकों को अपनी रणनीति में नए सिरे से बदलाव करने की जरूरत है ताकि ऋण और जमा वृद्धि के बीच बने अंतर को पाटा जा सके।” आरबीआई ने पिछले साल बिना गारंटी वाले खुदरा ऋणों में अत्यधिक वृद्धि और बैंक वित्तपोषण पर एनबीएफसी की अत्यधिक निर्भरता को लेकर चिंता जताई थी, जिसके परिणामस्वरूप असुरक्षित व्यक्तिगत ऋणों में ऋण वृद्धि में कमी आई है। अप्रैल 2024 में क्रेडिट कार्ड बकाया जैसे असुरक्षित ऋणों में वृद्धि 23% तक गिर गई है।

दास ने यह भी बताया कि एनबीएफसी को बैंक ऋण में वृद्धि भी घटकर 14.4% रह गई है। उन्होंने बैंकों और एनबीएफसी को उनकी जोखिम प्रबंधन नीतियों को सख्ती से पालन करने की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि आवश्यकता पड़ने पर आरबीआई अतिरिक्त कदम उठाने से नहीं हिचकेगा।

FY25 में GDP ग्रोथ 7.2% रहने का अनुमान- दास

दास ने भारत की अर्थव्यवस्था के लिए FY25 में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद जताई। आरबीआई ने FY25 में जीडीपी ग्रोथ 7.2% रहने का अनुमान लगाया है और महंगाई दर को 4.5% पर बरकरार रखा है। साथ ही, उन्होंने बताया कि बैंकों का ग्रॉस एनपीए मार्च 2025 तक 3% से कम रहेगा और आरबीआई की बैलेंस शीट में सुधार के लिए जोखिम प्रावधानों को बढ़ाया जाएगा। विदेशी निवेश (FPI) में बढ़ोतरी और फॉरेक्स रिजर्व में वृद्धि की भी जानकारी दी गई।

दास ने यह भी बताया कि आरबीआई जरुरत के मुताबिक लिक्विडिटी पर फैसला लेगा और बैंकों की बल्क डिपॉजिट लिमिट की समीक्षा करेगा।

इन घोषणाओं से स्पष्ट है कि आरबीआई न केवल मौद्रिक नीति बल्कि वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता के लिए भी सतर्क है और आवश्यक सुधारात्मक कदम उठाने के लिए तैयार है।