4 फरवरी 1948 को देश का सबसे बड़ा हिंदूवादी संगठन आरएसएस (RSS) को बैन किया गया था। संगठन के प्रतिबंध की कहानी शुरू होती है 30 जनवरी 1948 को दिल्ली के बिरला भवन से, जब भारत के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिए। शाम के वक्त जब महात्मा गांधी बिरला भवन में प्रार्थना स्थल की ओर बढ़ रहे थे, तभी अचानक से नाथूराम गोडसे अपने दो साथियों के साथ वहां आ पहुंचा। पहले तो भीड़ से अलग होकर नाथूराम ने महात्मा गांधी को हाथ जोड़कर प्रणाम किया और देखते ही देखते अपने रिवाल्वर से एक के बाद एक लगातार तीन गोलियां गांधी जी पर बरसा दी।
30 जनवरी 1948 को क्या हुआ?
गांधी जी के मुख से अंतिम शब्द निकला ‘हे राम’ और वो जमीन पर गिर पड़े। नाथूराम को मौके पर ही गिरफ्तार कर लिया गया। जबकि, उसके दो साथी नारायण आप्टे और विष्णु करकरे दिल्ली छोड़कर भाग गए। लेकिन, नाथूराम गोडसे को मौके पर ही दबोच लिया गया। ये कहानी थी 30 जनवरी 1948 की।
बापू की हत्या की खबर पूरे विश्व में आग की तरह फैल गई। लोगों को जानने की उत्सुकता होने लगी कि, इतने बड़े महात्मा को किसने मारा? जांच हुई तो पता चला नाथूराम (Nathuram Godse) आरएसएस (RSS) का सदस्य है। इसलिए तत्कालीन केंद्र सरकार ने RSS को गांधी की हत्या के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उस पर प्रतिबंध लगा दिया।
जब RRS पर लगा बैन।
आरएसएस पर बैन को लेकर गृह मंत्रालय की अर्काइव में मौजूद कुछ अहम बातें हैं जिसे आपको जानना चाहिए। आरएसएस पर बैन लगाने को लेकर केंद्र सरकार ने नोटिस जारी किया था। जिसमें लिखा था- संघ के सदस्यों ने खतरनाक काम किए हैं। देश के कुछ हिस्सों में RSS के सदस्य आगजनी, डकैती, हत्या और अवैध हथियारों के लेन-देन में शामिल रहे हैं। संघ प्रेरित हिंसा ने कई लोगों की जान ली है। राष्ट्रपिता बापू इसके ताजा शिकार बने हैं।
संघ के सदस्यों ने पर्चे बांटकर लोगों को आंतकी तरीके अपनाने, हथियार इकट्ठा करने, सरकार के प्रति असंतोष पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया। ये सारे काम गुप्त रूप से किए गए।
भारत सरकार देश में नफरत और हिंसा फैलाने वाली ताकतों को जड़ से उखाड़ने के लिए प्रतिबद्ध है। इस नीति के तहत, “सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को गैरकानूनी घोषित करने का फैसला लिया है। इस कदम में सरकार को कानून का पालन करने वाले सभी नागरिकों का समर्थन मिला है।”
बैन हटाने के लिए आरएसएस ने किया कठिन परिश्रम
इसके बाद तो आरएसएस को अपने ऊपर लगे बैन को हटवाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। कोर्ट, कानून और सरकार से कई बार सिफारिशें लगाई गई। जिसके बाद साल 1949 में केंद्र सरकार ने Ban on the RSS Lifted की घोषणा की। लेकिन साथ में कई शर्तें भी लगाईं।
संघ ने सरकार से वादा किया कि वो संविधान और तिरंगे के लिए वफादार रहेगा। संगठन में हिंसक लोगों के लिए कोई जगह नहीं होगी। संघ अपना संविधान बनाएगा जिसके तहत संगठन में लोकतांत्रिक ढंग से चुनाव होंगे। साथ ही संघ एक सांस्कृतिक संगठन के तौर पर काम करेगा और राजनीति में कदम नहीं रखेगा।
Written by:- Sarfaraz Saifi, Vice President News