Parliament Session: 18वीं लोकसभा का पहला सत्र आज से प्रारंभ हो रहा है। इस सत्र के पहले दिन नए चुने गए सांसदों को शपथ दिलाई जाएगी। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जो सत्र के महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है।
पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Om Birla), जो 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष थे, उनका कार्यकाल समाप्त हो चुका है। नियमों के अनुसार, नई लोकसभा के पहले सत्र के प्रारंभ होने पर प्रोटेम स्पीकर (Protem speaker) की नियुक्ति की जाती है, जो सांसदों को शपथ दिलाने और पूर्णकालिक अध्यक्ष के चुनाव तक सदन के कार्यों का संचालन करते हैं।
भर्तृहरि महताब को बनाया गया है प्रोटेम स्पीकर
सामान्यतः, सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाता है। इस बार कांग्रेस कार्यकारी समिति के सदस्य और केरल के मवेलिककारा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद कोडिकुनिल सुरेश का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा था। कोडिकुनिल सुरेश आठवीं बार सांसद बने हैं और मवेलिककारा से चौथी बार चुने गए हैं। उनके वर्षों के अनुभव के आधार पर उन्हें सदन का सबसे वरिष्ठ सदस्य माना जा रहा था।
हालांकि, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने प्रोटेम स्पीकर के रूप में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद भर्तृहरि महताब (Bhartrhari Mahtab) को नियुक्त किया है। भर्तृहरि महताब सात बार के सांसद हैं और उनके अनुभव को ध्यान में रखते हुए उन्हें यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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कांग्रेस ने भर्तृहरि महताब की नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं, क्योंकि परंपरानुसार सबसे वरिष्ठ सांसद को यह पद दिया जाता है और कोडिकुनिल सुरेश का दावा इस मापदंड के अनुसार अधिक मजबूत था। फिर भी, भर्तृहरि महताब ही नए सांसदों को उनके पद की शपथ दिलाएंगे और लोकसभा के पहले सत्र का संचालन करेंगे।
इससे पहले, कोडिकुनिल सुरेश को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने की चर्चाएं हो रही थीं। वे लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं और विभिन्न संसदीय प्रक्रियाओं में उनकी भागीदारी रही है। लेकिन आखिरकार, राष्ट्रपति के निर्णय के अनुसार भर्तृहरि महताब को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है।
प्रोटेम स्पीकर की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण
प्रोटेम स्पीकर की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि वे नए सांसदों को शपथ दिलाने के बाद सदन के प्रारंभिक सत्रों का संचालन करते हैं। इसके बाद, पूर्णकालिक लोकसभा अध्यक्ष की नियुक्ति की जाएगी जो संसद की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
18वीं लोकसभा के पहले सत्र में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की संभावना है, और नए सांसदों से अपेक्षा की जा रही है कि वे देश की भलाई के लिए सकारात्मक रूप से योगदान देंगे।