IAS Pooja Khedkar Controversy: कौन हैं IAS पूजा खेडकर? दिव्यांगता-OBC का फर्जी सर्टिफिकेट, अलग केबिन-स्टाफ की मांग जैसे विवादों से घिरी IAS अफसर की पूरी कहानी…

Published

IAS Pooja Khedkar Controversy: महाराष्ट्र काडर की ट्रेनी IAS पूजा खेडकर इन दिनों काफी चर्चा में हैं। पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने UPSC की सिविल सर्विसेज की परीक्षा क्वालिफाई करने के लिए दिव्यांगता और OBC का फेक सर्टिफिकेट दिखाया था। पूजा ने यह एग्जाम 2021 में दिया था और उनकी ऑल इंडिया रैंक 821 आई थी। आरोप है कि प्रोबेशनरी IAS अधिकारी पूजा खेडकर ने कथित तौर पर सत्ता का दुरुपयोग भी किया था, इस वजह से पूजा का ट्रांसफर वासिम में कर दिया गया है।

असिस्टेंट कलेक्टर पदस्थ होने से पहले रखीं असामान्य मांगें

पूजा ने पुणे में असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में पदस्थ होने से पहले अपने लिए एक अलग ऑफिस, एक कार और एक घर की मांग की थी। कलेक्टरेट के एक अधिकारी के साथ उनकी व्हाट्सएप चैट से पता चला है कि उन्होंने अधिकारी को निर्देश दिया कि 3 जून को उनके जॉइन करने से पहले उनकी मांगों का प्रबंध कर दिया जाए।

व्हाट्सएप चैट से हुआ खुलासा

चैट से पता चला है कि उन्होंने अधिकारी से कहा कि “प्लीज, 3 जून को मेरे जॉइन करने से पहले केबिन या गाड़ी का काम पूरा कर लें। बाद में समय नहीं मिलेगा। अगर यह संभव नहीं है तो मुझे बताएं, मैं कलेक्टर सर से इस बारे में बात करूंगी।” जिला कलेक्टर ने इन असामान्य मांगों को मुख्य सचिव के समक्ष उठाया था, अपनी रिपोर्ट में उन्होंने सुझाव दिया कि पुणे में पूजा खेडकर की ट्रेनिंग जारी रखना अनुचित होगा और कहा कि इससे प्रशासनिक जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।

VIP हॉल को केबिन के रूप में इस्तेमाल करने का प्रस्ताव

हालांकि, अधिकारी ने अपना खुद का चैंबर ऑफर किया था, लेकिन कलेक्टर की रिपोर्ट में कहा गया है कि अटैच बाथरूम की कमी के कारण पूजा खेडकर ने इसे अस्वीकार कर दिया। जॉइन करने से पहले पूजा खेडकर अपने पिता दिलीप खेडकर के साथ कार्यालय गईं और खनन विभाग के बगल में स्थित VIP हॉल को अपने केबिन के रूप में इस्तेमाल करने का प्रस्ताव रखा।

प्रोबेशनरी अधिकारी पर विशेष सुविधाओं की मांग

प्रोबेशनरी अधिकारी पूजा खेडकर को बताया गया कि वह प्रोबेशन पर इन सुविधाओं की हकदार नहीं हैं और उन्हें आवास उपलब्ध कराया जाएगा। जिला कलेक्टर की रिपोर्ट के बाद 2023 बैच की IAS अधिकारी पूजा खेडकर को ट्रेनिंग पूरी करने के लिए वाशिम जिले में ट्रांसफर कर दिया गया है। उन्हें वाशिम में असिस्टेंट कलेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया और वे 30 जुलाई 2025 तक ‘सुपरन्यूमेरी असिस्टेंट कलेक्टर’ के रूप में काम करेंगी।

फेक सर्टिफिकेट जमा कराने के आरोप

विवाद के बाद उनके नियुक्ति दस्तावेजों की जांच से पता चला कि उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा पास करने के लिए कथित तौर पर फर्जी दिव्यांगता और OBC प्रमाण पत्र जमा किए थे। पूजा खेडकर ने लाल-नीली बत्ती और VIP नंबर प्लेट वाली अपनी निजी ऑडी कार का भी इस्तेमाल किया और अपनी निजी कार पर ‘महाराष्ट्र सरकार’ का बोर्ड भी लगाया था।

मेडिकल जांच में शामिल होने से इनकार

एक अधिकारी ने कहा कि पूजा खेडकर ने OBC और दृष्टिबाधित कैटेगरी के तहत सिविल सेवा परीक्षा दी थी, उन्होंने मानसिक बीमारी का प्रमाण पत्र भी जमा किया था। अप्रैल 2022 में उन्हें अपनी दिव्यांगता की पुष्टि के लिए दिल्ली AIIMS में मेडिकल टेस्ट कराने के लिए कहा गया था, हालांकि पूजा खेडकर ने 6 अलग-अलग मौकों पर इन परीक्षाओं में शामिल होने से इनकार कर दिया। बाद में उन्होंने एक निजी केंद्र से एक MRI स्कैनिंग प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया।

OBC गैर-क्रीमी लेयर कैंडिडेट के दावों में विसंगति

इतना ही नहीं, पूजा खेडकर के OBC गैर-क्रीमी लेयर कैंडिडेट के दावों में भी विसंगतियां पाई गईं। उनके पिता दिलीप खेडकर के चुनावी हलफनामे के अनुसार उन्होंने 2024 का लोकसभा चुनाव वंचित बहुजन आघाड़ी के टिकट पर लड़ा था, उनकी संपत्ति 40 करोड़ रुपये बताई गई थी। इससे उनकी OBC योग्यता पर भी सवाल उठे थे।

कौन हैं पूजा खेडकर?

पूजा खेडकर महाराष्ट्र कैडर की 2022 बैच की आईएएस अधिकारी हैं, जिन्होंने यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 841 हासिल की थी। वह उस समय चर्चा में आईं जब उन्होंने अपनी निजी ऑडी कार में लाल-नीली बत्ती और वीआईपी नंबर प्लेट का इस्तेमाल किया। इसके अलावा, उन्होंने प्रशासन से ऐसी सुविधाओं की मांग की जो प्रोबेशनरी अधिकारियों को नहीं मिलतीं, जैसे अलग केबिन, कार, आवासीय क्वार्टर और चपरासी, जो उन्हें प्रदान नहीं की गईं। उनके पिता भी सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी हैं और उन्होंने कथित तौर पर जिला कलेक्टर कार्यालय पर दबाव डालकर ये मांगे पूरी कराने की कोशिश की।

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, पूजा खेडकर ने सिविल सेवा परीक्षा में फर्जी विकलांगता और ओबीसी प्रमाण पत्र पेश किया था, साथ ही मानसिक बीमारी का प्रमाण पत्र भी दिया था। अप्रैल 2022 में उन्हें अपने विकलांगता प्रमाण पत्र के सत्यापन के लिए दिल्ली के एम्स में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया था, लेकिन उन्होंने कोरोना होने का दावा करते हुए ऐसा नहीं किया।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *