‘संविधान हत्या दिवस’ से नाराज अखिलेश यादव ने BJP को लिया आड़े हाथों, गिना दिए 15 दिवस के नाम

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Samvidhaan Hatya Diwas: केंद्र सरकार ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय 25 जून 1975 को देश में लागू किए गए आपातकाल की याद में लिया गया है। 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने को लेकर विपक्षी नेता अब बीजेपी पर हमलावर हो गए हैं। वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट शेयर कर बीजेपी पर निशाना साधते हुए 15 दिनों को अलग-अलग दिवस के रूप में गिनवा दिया है।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट शेयर कर लिखा,

“30 जनवरी को ‘बापू हत्या दिवस’ व ‘लोकतंत्र हत्या दिवस’ के संयुक्त दिवस के रूप में मनाना चाहिए क्योंकि इसी दिन चंडीगढ़ में भाजपा ने मेयर चुनाव में धांधली की थी।

भाजपा बताए कि:

  • मणिपुर में नारी के मान-अपमान हत्या दिवस
  • ⁠हाथरस की बेटी हत्या दिवस
  • ⁠लखीमपुर में किसान हत्या दिवस
  • ⁠कानपुर देहात में माँ-बेटी हत्या दिवस
  • ⁠तीन काले क़ानूनों से कृषि हत्या दिवस
  • ⁠पेपर लीक करके हुए परीक्षा प्रणाली हत्या दिवस
  • ⁠अग्निवीर से हुए सामान्य सैन्य भर्ती हत्या दिवस
  • ⁠बेरोज़गारी से हुए युवा सपनों के हत्या दिवस
  • ⁠बढ़ती महंगाई से हुए आम परिवारों के भविष्य के हत्या दिवस
  • ⁠नोटबंदी व जीएसटी लागू करने से हुए व्यापार हत्या दिवस
  • ⁠यश भारती जैसे पुरस्कार बंद करने से हुए हुनर-सम्मान हत्या दिवस
  • ⁠जनसंख्या में आनुपातिक प्रतिनिधित्व न देकर सामाजिक न्याय का हत्या दिवस
  • ⁠सरकारी नौकरी के अवसर ख़त्म करके आरक्षण के हत्या दिवस
  • ⁠पुरानी पेंशन के हत्या दिवस
  • ⁠संदेहास्पद हो गये ईवीएम न हटाकर बैलेट पेपर हत्या दिवस

जैसे भाजपा राज में आए अनेक काले दिनों के लिए कौन सी तिथि चुनी जाए?”

अमित शाह ने ‘संविधान हत्या दिवस’ की जानकारी की साझा

बता दें, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ‘संविधान हत्या दिवस’ के इस फैसले की जानकारी साझा करते हुए लिखा, “25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने अपनी तानाशाही मानसिकता को दर्शाते हुए देश में आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था। लाखों लोगों को अकारण जेल में डाल दिया गया और मीडिया की आवाज को दबा दिया गया। भारत सरकार ने हर साल 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय किया है। यह दिन उन सभी लोगों के विराट योगदान का स्मरण करायेगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था।”

लेखक-प्रियंका लाल