भारत की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था देख चीन के छूटे पसीने

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भारत जिस तेज़ी से प्रगति कर रहा है, उससे चीन को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। चीन की विकास दर धीमी हो गई है और दूसरी तिमाही में यह अनुमान से काफी पीछे रह गई है, जबकि भारत का विकास दर अपेक्षा से अधिक रहा है। बीजिंग नेशनल ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स (NBS) ने सोमवार (15 जुलाई, 2024) को घोषणा की कि साल की दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की विकास दर 4.7 प्रतिशत रही, जबकि पहली तिमाही में यह 5.3 प्रतिशत थी। इसके विपरीत, भारत की दूसरी तिमाही की विकास दर 7.6 प्रतिशत रही।

चीन की सरकार ने सोमवार को कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में उसकी जीडीपी गिरकर 4.7 प्रतिशत रह जाएगी। पहली तिमाही के आंकड़ों के आधार पर कई अर्थशास्त्रियों और ब्लूमबर्ग के सर्वे में अनुमान लगाया गया था कि दूसरी तिमाही में चीन की विकास दर 5.1 प्रतिशत रहेगी, लेकिन चीन इन अनुमानों से चूक गया।

ये आंकड़े ऐसे समय पर सामने आए हैं, जब सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) ने एक महत्वपूर्ण बैठक शुरू की है। इस बैठक को दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिहाज से राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व के लिए एक निर्णायक क्षण माना जा रहा है।

अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के प्रयास में जुटे जिनपिंग

‘कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के 376 पूर्ण और वैकल्पिक सदस्य चार दिवसीय बैठक में भाग ले रहे हैं, जिसे ‘थर्ड प्लेनम’ कहा जाता है। वे मुख्य रूप से व्यापक रूप से सुधारों का विस्तार करने और चीन के आधुनिकीकरण को गति देने से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करेंगे, ताकि जनसांख्यिकीय संकट, धीमी विकास दर और बढ़ते सरकारी कर्ज से प्रभावित अर्थव्यवस्था में सुधार हो सके।

तीसरी सीपीसी बैठक को अगले दशक के लिए सुधार एजेंडा तय करने में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह बैठक राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए एक निर्णायक क्षण है, जिन्होंने आर्थिक मंदी के बीच अभूतपूर्व तीसरा पांच साल का कार्यकाल संभाला है।

चीन की विकास दर में गिरावट के कारण

रिपोर्ट में बताया गया कि रियल एस्टेट संकट के कारण उपभोक्ताओं और कंपनियों ने खर्च में सावधानी बरती। चीन की विकास दर में गिरावट का मुख्य कारण खुदरा बिक्री (Retail Sales) में कमी आना है। आंकड़ों के अनुसार, मई में चीन की उपभोक्ता खपत 3.7 प्रतिशत थी, जो जून में घटकर 2 प्रतिशत रह गई। रियल एस्टेट के कर्ज के कारण उपभोक्ता खपत में यह गिरावट आई है।

भारत की प्रगति

नेशनल स्टैटिस्टिकल ऑफिस (National Statistical Office) के अनुसार, 2024 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत थी और दूसरी तिमाही में यह 7.6 प्रतिशत रही। पिछले साल मार्च में यह आंकड़ा 8.2 फीसदी था। वहीं, भारतीय रिजर्व बैंक ने 2024 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था।

भारत की आर्थिक स्थिति इस समय मजबूत और स्थिर नजर आ रही है, जबकि चीन को कई आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। भविष्य में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएं किस दिशा में आगे बढ़ती हैं।