संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की भारत इकाई की प्रमुख एंड्रिया वोजनार ने हाल ही में कहा कि भारत में बुजुर्गों की संख्या 2050 तक दोगुनी हो सकती है। वोजनार ने विश्व जनसंख्या दिवस के बाद जनसंख्या के महत्वपूर्ण रुझानों को उजागर किया, जिसमें बुजुर्ग आबादी के बढ़ते अनुपात, शहरीकरण, प्रवासन और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे शामिल हैं।
वोजनार के अनुसार, 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों की संख्या 2050 तक 34 करोड़ 60 लाख हो जाने का अनुमान है। इस बढ़ती बुजुर्ग आबादी के लिए स्वास्थ्य सेवा, आवास और पेंशन योजनाओं में निवेश बढ़ाना अत्यंत आवश्यक है, विशेषकर उन वृद्ध महिलाओं के लिए जिनके अकेले रहने और गरीबी का सामना करने की संभावना अधिक है।
2050 तक भारत की 50 प्रतिशत आबादी शहरी होगी
भारत में 10 से 19 साल की आयु के 25 करोड़ 20 लाख लोग हैं। वोजनार ने सुझाव दिया कि इस युवा जनसंख्या को स्वास्थ्य, शिक्षा, नौकरी के लिए प्रशिक्षण और रोजगार सृजन में निवेश करके सक्षम बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इससे देश की सतत प्रगति को तेज किया जा सकता है।
वोजनार ने यह भी कहा कि 2050 तक भारत की 50 प्रतिशत आबादी शहरी होगी, इसलिए स्मार्ट शहरों, मजबूत बुनियादी ढांचे और किफायती आवास की आवश्यकता है। शहरी योजनाओं में महिलाओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा एवं रोजगार की उपलब्धता को ध्यान में रखना भी महत्वपूर्ण है।
जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को विकास योजनाओं में शामिल करने और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश करने की आवश्यकता पर भी वोजनार ने बल दिया। आंतरिक और बाहरी प्रवासन को प्रबंधित करने के लिए अच्छी योजना और कौशल विकास पर जोर देने की आवश्यकता है।
इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सही नीतियों और योजनाओं को लागू करना भारत के लिए महत्वपूर्ण होगा, ताकि देश सतत विकास की दिशा में आगे बढ़ सके।